नई दिल्ली, राजसत्ता एक्सप्रेस। कोरोना वायरस अब दिमाग के साथ खेल रहा है। संक्रमित महिला पर हुए शोध के बाद अमेरिका के शोधकर्ताओं ने यह चौंकाने वाला खुलासा किया है। अमेरिका के हेनरी फोर्ड हेल्थ सिस्टम के शोधकर्ताओं ने 58 वर्षीय कोरोना संक्रमित महिला पर यह शोध किया। महिला को बुखार और खांसी की तकलीफ के साथ भ्रम, उलझन और थकावट महसूस हो रही थी। डॉक्टरों ने सीटी स्कैन जांच कराई तो महिला के मस्तिष्क में काले धब्बे बने दिखे। महिला के मस्तिष्क की कोशिकाएं संक्रमण के कारण मर चुकी हैं और कोरोना वायरस इसकी मूल वजह है।
डॉक्टरों ने बताया कि कोरोना संक्रमण की चपेट में आने के बाद महिला के मस्तिष्क में गांठ बनने लगी। यही नहीं, उसके मस्तिष्क में रक्तस्राव भी हुआ जिसके कारण उसे मस्तिष्क से जुड़ी तकलीफ होने लगी। डॉक्टरों के अनुसार वायरल संक्रमण से एक्यूट नेक्रोटाइजिंग इंसेफलाइटिस की समस्या होती है जो दुलर्भ बीमारी है। इसके कारण मस्तिष्क को नुकसान होता है। पहले ऐसी तकलीफ फ्लू और चिकनपॉक्स के मरीजों में देखने को मिलती थी। कोरोना में भी ऐसे मामले सामने आने लगे हैं।
वायरस का फैलाव जिस तरह से बढ़ रहा है संक्रमित मरीजों में मस्तिष्क संबंधी तकलीफ भी बढ़ रही है। न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. हलीम फादिल का कहना है कि कुछ मरीजों को चलने-फिरने में दिक्कत, सिर में दर्द, झटके आना, सुनने-देखने, चिड़चिड़पान, गुस्सा, अनिद्रा जैसी शिकायतें मिल रही हैं जिसका सीधा संबंध मस्तिष्क से है। संक्रमित मरीज इस तरह की तकलीफ बता रहा है तो डॉक्टरों को इस ओर ध्यान देना होगा नहीं मरीज गंभीर स्थिति में जा सकता है।
टेक्सास हेल्थ आरलिंग्टन मेमोरियल हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. केविन कॉर्नर का कहना है कि आईसीयू में भर्ती होने वाले अधिकतर मरीजों में आईसीयू डिलेरियम की तकलीफ होती है। इसका कारण सेप्सिस, बुखार, संक्रमण या अंगों का काम न करना हो सकता है।
कोविड-19 के मरीजों में ऐसा इसलिए देखने को मिल रहा है क्योंकि संक्रमण के चलते मरीजों के फेफड़े काम करना बंद कर रहे हैं। फेफड़े की कार्यक्षमता प्रभावित होने से मस्तिष्क में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है।
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