सपने में देखा सोने का खजाना…जुट गई सरकार खुदाई में…दिलचस्प है ‘शोभन सरकार’ के सपने की कहानी

लखनऊ, राजसत्ता एक्सप्रेस। संत शोभन सरकार अब हमारे बीच नहीं हैं। आप सोच रहे होंगे कि कौन है ये। जेहन में इस सवाल का उठना लाजमी है। शोभन सरकार 2013 में काफी चर्चा में रहे थे। कानपुर में रहने वाले इस बाबा ने सपने में एक हजार टन सोना देखा और बताया था कि कहां छिपा है। बस फिर क्या था। सरकार पूरे जोश में आकर खुदाई में जुट गई थी। आपको बता दें कि उन्नाव जिले का डोंडिया खेड़ा वो जगह थी जहां ये खजाना छिपा था। बाबा के कहने पर तत्कालीन मनमोहन सरकार ने ऑर्किलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की टीम लगाकार खुदवाई का काम शुरू करवाया था।

कई दिनों तक हुई थी सोने की खोज

शोभन सरकार ने सपना देखा था कि फतेहपुर के रीवा नरेश के किले में शिव चबूतरे के नीचे 1000 टन सोने का खजाना दबा है। संत के सपने के बारे में जब सरकार को पता चला तो उस चबूतरे के पास कई दिनों तक खुदाई चली थी। पूरे देश ही नहीं बल्कि विदेश की मीडिया में भी डोंडिया खेड़ा चर्चा का विषय बन गया था। विदेशों से पत्रकारों की टीमें यहां पहुंची थीं। पूरे देश की मीडिया कई दिनों तक यहां डेरा डाले रही थी।

खजाने के कई दावेदार आने लगे थे सामने

शोभन सरकार के सपन में आए खजाने की खोज शुरू हुई तो इसके कई दावेदार भी सामने आ गए थे। कई लोगों ने राजा के वंशज होने का दावा किया था और उन्नाव में डेरा जमा दिया था। कई ग्रामीणों ने भी सोने पर मालिकाना हक जताया था। खजाना मिले बिना ही केंद्र सरकार ने भी घोषणा कर दी थी कि खजाने पर सिर्फ देशवासियों का अधिकार होगा। समाजवादी पार्टी की तत्कालीन सरकार ने खजाने पर राज्य सरकार का हक बताया था। जब कई दिनों तक खुदाई के बाद भी वहां सोना नहीं निकला तो सरकार की जमकर किरकिरी हुई थी।

कौन थे शोभन सरकार?

शोभन सरकार का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर(देहात) जिले के शुक्लन पुरवा गांव में हुआ था। इन्होंने बीपीएमजी इंटर कॉलेज मंधाना से पढ़ाई की। मंधाना के लोगों ने बताया कि शोभन खाली वक्त में गीता और रामचरिमानस का गहन अध्ययन पेड़ के नीचे बैठकर किया करते थे। हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के 10 साल बाद उन्होंने घर छोड़ दिया और वह स्वामी सत्संगानंद के अनुयायी बन गए। सत्संगानंद के आश्रम में पहले से भी उनके कई अनुयायी रहते थे। आश्रम में सत्संगानंद को लोग बड़े स्वामी कहते थे। सरकार ने स्वामीजी के गाइडेंस में 8 साल तक चिंतन किया।

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