मुंबई, राजसत्ता एक्सप्रेस। कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण से पूरी दुनिया जूझ रही है। तमाम प्रयासों के बाद भी इसे रोकने में अभा तक सफलता नहीं मिल सकी है। महामारी से बचने के लिए केंद्र और राज्य सरकार हर संभव प्रयास कर रहे हैं। इस बीच एक और बुरी खबर महाराष्ट्र से आई है। राज्य के किसानों पर ऐसी मार पड़ी है, जिससे करीब 5 हजार एकड़ की फसल बर्बाद हो गई है। यहां पर खेतों में टमाटर की फसल में एक ऐसा वायरस घुस गया है, जिसके बाद टमाटर तीन रंग का दिखने लगा है। इसे ‘तिरंगा वायरस’ का नाम दिया गया है।
वायरस को तिरंगा क्यों कह रहे किसान
किसानों ने इसे ‘तिरंगा वायरस’ नाम दिया है। वायरस के हमले के बाद टमाटर की फसल पर बुरे प्रभाव पड़े हैं। वायरस की चपेट में आकर टमाटर के रंग और आकार में अंतर आ रहा है। इस वायरस की वजह से टमाटर में छेद हो रहे हैं। टमाटर पकने के बाद अंदर से काला पड़कर सड़ने लग रहा है। वायरस के असर से टमाटर पीले, हरे और लाल तीन रगों का हो जा रहा है। किसान कह रहे हैं कि अब उनको एक साल टमाटर का उत्पादन बंद करना पड़ सकता है।
टमाटर से दूरी बना रहे लोग
टमाटर उगाने वाले एक किसान रमेश ने अपना दर्द साझा किया है। उन्होंने कहा कि अब टमाटर के पूरे खेत ही पीले हो रहे हैं। टमाटरों के रंग को देखकर खरीदने की बात तो दूर खरीददार पास नहीं आ रहा है। इनको बाजार में कोई नहीं खरीद रहा है। पहले ही कोरोना की वजह से किसानों का माल नहीं बिक रहा था, लेकिन अब तो यह खराब होना शुरू हो गया है। किसानों पर अब दोहरी मार पड़ी है।
5 हजार एकड़ की खेती बर्बाद, लाखों का नुकसान
पिछले कुछ सालों में महाराष्ट्र में फरवरी और अप्रैल के दौरान टमाटर की खेती का चलन बढ़ा है। टमाटर की एक एकड़ खेती में तकरीबन एक से दो लाख खर्चा आता है। फरवरी में जो टमाटर के पौधे लगाए गए, उनमें नजर आया कि टमाटर पीले हो रहे हैं। बाद में उनका रंग सफेद भी होने लगा, धब्बे दिखने लगे। इसके बाद टमाटर अंदर से सड़ गए हैं। महाराष्ट्र में अहमदनगर जिले के अकोला और संगमनेर में 5 हजार एकड़ क्षेत्र के टमाटर की खेती पर ‘तिरंगा वायरस’ का प्रभाव पड़ा है।