नई दिल्ली, राजसत्ता एक्सप्रेस। कोरोना संकट के बीच एक अच्छी खबर आ रही है। चीन ने दावा किया है कि उसने कोरोना वायरस की वैक्सीन तैयार कर ली है। अमेरिकी दवा निर्माता कंपनी मोडेर्ना द्वारा तैयार की गई वैक्सीन के फेज़-1 ट्रायल के सफल होने के बाद चीन ने अपनी वैक्सीन के सफल परीक्षण की घोषणा की है। विशेषज्ञों ने शुक्रवार को कहा कि चीन में विकसित कई गई वैक्सीन सुरक्षित है और यह लोगों को कोरोना वायरस से बचाने में कारगर साबित हो सकती है। न्यू यॉर्क टाइम्स के मुताबिक शुरुआती ट्रायल में वैक्सीन के एक ही डोज से लोगों का इम्यून सिस्टम मजबूत हुआ है।
ट्रायल के दौरान सामने आए नतीजों में पता चला कि वैक्सीन के डोज से एंटीबॉडी का स्तर उतना नहीं था जिससे, वायरस को पूरी तरह से खत्म किया जा सके। वैज्ञानिकों ने पाया कि वैक्सीन की वजह से टी सेल (इम्यून सेल) दो हफ्तों में मजबूत हुए जो कोरोना संक्रमण से बचा सकते हैं। वहीं, इम्यूनिटी को बढ़ाने शरीर में बनने वाले एंटीबॉडी, वैक्सीन देने के 28 दिन बाद तैयार हुए। वैक्सीन का ट्रायल 18 से 60 की उम्र के 108 लोगों पर किया गया है।
108 लोगों पर हुआ ट्रॉयल
चीन की कोरोना वायरस वैक्सीन Ad5 का 108 वॉलंटिअर्स पर इंसानी ट्रायल अब पूरा हो गया है। ट्रायल पूरा होने के बाद विशेषज्ञों ने कहा कि इस वैक्सीन ने इंसान के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता को सुरक्षित तरीके से बढ़ाया, लेकिन यह कोविड-19 वायरस को पूरी तरह से खत्म नहीं कर सकी। उन्होंने कहा कि मरीजों के अंदर एंटीबॉडी पैदा होना एक अच्छा संकेत है।
विशेषज्ञों ने कहा कि परीक्षण से यह साबित हुआ है कि यह चीनी वैक्सीन संक्रमण से बचा सकती है लेकिन निश्चित रूप से कहना अभी जल्दीबाजी होगी। चीन की इस वैक्सीन को कैंसिनो ने बनाया है। इस साल की शुरुआत में इस वैक्सीन का परीक्षण शुरू हुआ था। इस कंपनी ने ब्रिटेन के ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी और अमेरिका के मोडेर्ना के परीक्षण से काफी पहले ही अपना परीक्षण शुरू कर दिया था।
वैक्सीन के कुछ साइड इफेक्ट भी देखे गए। मरीजों के अंदर दर्द, मांसपेशियों में दर्द और बुखार देखा गया। लेकिन 28 दिनों के अंदर ये लक्षण कम हो गए। किसी भी मरीज के अंदर गंभीर या जानलेवा लक्षण नहीं देखे गए। डेलीमेल की रिपोर्ट के मुताबिक चीन की Ad5 कोरोना वायरस वैक्सीन दुनिया में सबसे आगे चल रही कोरोना वायरस वैक्सीन में शामिल है।
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वैज्ञानिकों ने कहा कि परीक्षण में इस्तेमाल एडी5 वेक्टर्ड कोविड-19 टीका मनुष्यों में जांचा गया पहला टीका है। अध्ययन में बताया गया कि इस टीके में जुकाम पैदा करने वाले कमजोर पड़े एडेनोवायरस का इस्तेमाल किया गया जो कोशिकाओं में सार्स-सीओवी-2 स्पाइक प्रोटीन के लिए कोडिंग का काम करने वाली आनुवंशिक सामग्री तैयार करता है।