राजसत्ता एक्सप्रेस। दिल्ली सरकार के पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं है। इसको लेकर दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगाई है। दरअसल, कोरोना संकट में लागू लॉकडाउन की वजह से दिल्ली सरकार के सामने अपने कर्मचारियों को वेतन देने का संकट पैदा हो गया है। सिसोदिया ने इसको लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र से तत्काल 5000 करोड़ रुपये की सहायता देने की मांग की है। वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी ट्वीट कर केंद्र से निवेदन किया है कि वो आपदा की घड़ी में दिल्ली के लोगों की मदद करें।
केंद्र सरकार से निवेदन है कि आपदा की इस घड़ी में दिल्ली के लोगों की मदद करे। https://t.co/Z82D7UEZDo
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) May 31, 2020
केवल 1735 करोड़ रुपये का आया राजस्व
दरअसल, शनिवार को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि हमें हर महीने पने कर्मचारियों को केवल वेतन देने और ऑफिस के खर्च वहन करने के लिए 3500 करोड़ रुपये की आवश्यकता है। इस कोरोना संकट में काल में दिल्ली के राजस्व पर भी काफी असर पड़ा है। उन्होंने बताया कि पिछले दो महीने (लॉकडाउन पीरियड) में जीएसटी से 500-500 करोड़ रुपये आए हैं। उन्होंने बताया कि अन्य स्रोतों से हुई आमदनी को जोड़ा जाए, तो इस दौरान केवल 1735 करोड़ रुपये का राजस्व आया है।
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वित्त मंत्री को लिखा पत्र
सिसोदिया ने कहा कि कोरोना और लॉकाडाउन के कारण दिल्ली सरकार का टैक्स कलेक्शन भी 85 फीसदी कम हो गया है। ऐसे में इस संकट में हम अपने कर्मचारियों को वेतन कैसे दें। उन्होंने कहा कि इसके लिए हमें लगभग 5000 करोड़ रुपये की जरूरत है। उन्होंने बताया कि वित्त मंत्री को पत्र लिखकर सहायता राशि की मांग की है, ताकि हम अपने डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों को वेतन दे सकें। सिसोदिया ने कहा कि इस संकट काल में कहीं से भी रेवेन्यू नहीं आ रहा है। उनका कहना है कि केंद्र के द्वारा आपदा राहत कोष से राज्यों को दिया पैकेज भी दिल्ली सरकार को नहीं मिला है।
आपदा राहत कोष का पैकज भी नहीं मिला: सिसोदिया
सिसोदिया ने कहा कि कहीं से भी रेवेन्यू आ नहीं रहा और केंद्र ने आपदा राहत कोष से जो पैकेज राज्यों को दिया, उसमें से भी दिल्ली सरकार को कुछ नहीं मिला. गौरतलब है कि कोरोना के खतरे की वजह से देशव्यापी लॉकडाउन के दो महीने से ज्यादा समय हो गया है। इस दौरान जरूरी वस्तु की दुकानों और आवश्यक सेवाओं को छोड़कर अन्य सभी उद्योग बंद रहे। इस कारण राज्यों के राजस्व काफी प्रभावित हुआ है।
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