लखनऊ: पीएम नरेंद्र मोदी ने कोरोना से निपटने में योगी सरकार के काम काज की तारीफ़ की है. वाराणसी के अधिकारियों से बात करते हुए उन्होंने यूपी मॉडल को असरदार बताया. एक बार फिर वे 21 मई को अपने संसदीय क्षेत्र के डॉक्टरों से संवाद करेंगे. घर घर जाकर जांच करने की उनकी अपील से बहुत पहले ही यूपी के देहाती इलाक़ों में सर्वे का काम शुरू हो गया था. 5 मई से ही मेडिकल टीम लगातार गांव गांव जाकर टेस्ट और स्क्रीनिंग कर रही है, जिसकी वजह से ग्रामीण इलाक़ों में हालात क़ाबू में हैं.
हाई कोर्ट से लेकर विपक्ष ने योगी सरकार के खिलाफ क्या क्या नहीं कहा, लेकिन अब धीरे धीरे यूपी में कोरोना को लेकर हालात बेहतर होने लगे हैं. सबसे बड़ी चिंता ग्रामीण इलाकों में संक्रमण के फैलने की थी. लेकिन योगी सरकार की लगातार कोशिशों से कोरोना की लहर थमने लगी है. संक्रमण दर काफ़ी घट गई है. लगभग देश में सबसे कम. 2.45% के आसपास. रिकवरी रेट लगातार बढ़ रहा है. मतलब कोरोना के मरीज़ों के स्वस्थ होने का आंकड़ा. ये सब तब है जब यूपी में लगातार टेस्ट बढ़ रहे हैं. कल ही यूपी में 2 लाख 99 हज़ार 327 टेस्ट हुए. सिर्फ ग्रामीण इलाकों में 2 लाख से अधिक टेस्ट हुए, जबकि महाराष्ट्र को छोड़ कर बाकी सभी राज्यों में टेस्ट लगातार कम हो रहे हैं.
यूपी सरकार इन दोनों एक साथ तीन मोर्चे पर काम कर रही है. कोरोना की दूसरी लहर में टेस्ट, ट्रैक और ट्वीट के फ़ार्मूले पर काम जारी है. मतलब कोविड के लक्षण की जांच करना. पॉज़िटिव पाए जाने पर आइसोलेट कर घर में ही इलाज करना. अब तक 20 लाख मेडिकल किट बांटे जा चुके हैं. मरीज़ की तबियत बिगड़ने पर अस्पताल में इलाज करना.
इस तरीके से राज्य के 68 प्रतिशत गांव अब तक कोरोना के संक्रमण से बचे हुए हैं. दूसरा मोर्चा है कोरोना की तीसरी लहर की तैयारी, जिसमें सबसे अधिक खतरा बच्चों को है. इसीलिए ब्लॉक लेवल से लेकर ज़िले तक बच्चों के अस्पताल बनाने पर काम चल रहा है.
एक्सपर्ट्स की एक कमेटी बना दी गई है. ऑक्सीजन प्लांट लगाए जा रहे हैं. दूसरी लहर की तरह तीसरी लहर में ऑक्सीजन की कोई कमी न हो, इस पर काम चल रहा है. तीसरा मोर्चा है बेरोज़गारी और भुखमरी से लोगों को बचाने का. इसके लिए गरीबों को फ्री में राशन दिया जा रहा है. लघु और छोटे उद्योगों से हुनरमंद लोगों को जोड़ा जा रहा है. अगले साल की शुरूआत में यूपी में चुनाव हैं. सीएम योगी आदित्यनाथ जानते हैं कि कोरोना को लेकर लोगों को जो परेशानी हुई है, वो ग़ुस्सा अगर कम न हुआ तो फिर चुनाव में बात बिगड़ सकती है.