वायुसेना ने ज़िंदगी बचाने के लिए चलाया ‘मिशन ऑक्सीजन’ , जानें कैसे शुरू हुआ था ये मिशन

नई दिल्ली: आसमान में 3000 घंटें, 1600 से ज्यादा उड़ान, देश-विदेश में करीब 10 लाख नॉटिकल मील का सफर, 800 ऑक्सीजन कंटेनर, 13500 मैट्रिक टन ऑक्सीजन, भारतीय वायुसेना की पूरी मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट फ्लीट और भारतीय वायुसेना का मिशन ऑक्सीजन. ये आंकडें भले ही भारतीय वायुसेना के ‘मिशन-ऑक्सीजन’ के हैं, लेकिन ये सिर्फ आंकड़ें मात्र नहीं हैं. ये वो मिशन है, जिसमें पिछले डेढ़ महीने से भारतीय वायुसेना जुटी हुई थी. 

कोरोना काल में जब देश में ऑक्सीजन को लेकर हाहाकार मची तो, संकटमोचक की तरह वायुसेना ने मोर्चा संभाला. क्या देश और क्या विदेश, वायुसेना के विमानों ने दिन-रात एक कर देशवासियों को ऑक्सजीन की कमी से बाहर निकालने में ना केवल निर्णायक भूमिका निभाई, बल्कि कोरोना से लड़ रहे हजारों मरीजों की जान भी बचाई. आखिर किस तरह वायुसेना ने पूरा किया मिशन-ऑक्सीजन, ये जानने के लिए खुद एबीपी न्यूज की टीम पहुंची राजधानी दिल्ली से सटे हिंडन एयर बेस पर.

हिंडन एयरबेस पर दुनिया के सबसे बड़े सैन्य-विमानों में से एक ग्लोबमास्टर की पूरी एक स्कॉवड्रन तैनात है, जिसे ‘स्काईलॉर्ड’ के नाम से जाना जाता है. पिछले डेढ़ महीने से सी-17 ग्लोबमास्टर दिन-रात देश-विदेश से क्रायोजैनिक ऑक्सीजन कंटनेर, ऑक्सीजन सिलेंडर और कंसंट्रेटर सहित कोरोना से लड़ने वाले दूसरे मेडिकल उपकरण ला रहे हैं.

हिंडन एयरबेस पर एक दूसरा सी-17 ग्लोबमास्टर खड़ा है, जो कुछ घंटे पहले ही जर्मनी के हैम्बर्ग से चार बड़ी क्षमता के कंटनेर लेकर लौटा है. इनमें से हरेक कंटनेर की क्षमता करीब 270 हजार लीटर की है. खास बात ये है कि इन कंटेनर से ऑक्सजीन सिलेंडर को सीधे भरा जा सकता है ताकि अस्पताल में जल्द से जल्द मरीजों तक भेजा जा सके.

हिंडन एयरबेस में वायुसेना मुख्यालय में तैनात एक सीनियर अधिकारी, ग्रुप कैप्टन मनीष कुमार को देश-विदेश से एयरक्राफ्ट्स भेजने और कॉर्डिनेशन के लिए तैनात किया गया है. ग्रुप कैप्टन ने एबीपी न्यूज को बताया कि कोरोना महामारी के दौरान करीब 16 मित्र-देशों से अबतक वायुसेना के अलग-अलग विमान 160 ऑक्सीजन कंटेनर ला चुके हैं. इन देशों में जर्मनी, फ्रांस, बेल्जियम, इंग्लैंड, नीदरलैंड, इजरायल, इंडोनेशिया, थाईलैंड, सिंगापुर, यूएई, कुवैत, कतर और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं. इसके अलावा अबतक 650 कंटेनर्स को देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में भेजा जा चुका है.

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