गुवाहाटी: तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सदस्य सौगत रॉय ने गुरुवार को कहा कि सांसदों समेत पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल को सिलचर हवाईअड्डे पर ‘हिरासत’ में लिया गया है. रॉय ने कहा कि यह लोग नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) के अंतिम मसौदे के जारी होने के बाद असम में स्थिति का जायजा लेने वहां जा रहे थे.
लोकसभा में यह मुद्दा उठाते हुए राय ने कहा कि यह मुद्दा सांसदों के अधिकार से जुड़ा हुआ है, क्योंकि यह उनके विशेषाधिकार का उल्लंघन है. तृणमूल कांग्रेस के अन्य सदस्यों ने भी इसका समर्थन किया.
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सदन में मौजूद उपाध्यक्ष एम थंबीदुरई ने कहा कि वह अध्यक्ष सुमित्रा महाजन तक उनकी यह बात पहुंचा देंगे. राय ने बाद में कहा कि ‘असम सरकार द्वारा सांसदों की स्वतंत्रता को हानि पहुंचाई गई है’ और इसलिए वह इस मुद्दे पर विशेषाधिकार नोटिस देंगे.
पार्टी ने बयान जारी कर कहा कि छह सांसदों, एक राज्य मंत्री और एक विधायक को सिलचर हवाईअड्डे पर ‘अवैध रूप से हिरासत’ में रखा गया. पार्टी ने इस घटना को ‘सुपर इमरजेंसी’ करार दिया.
#WATCH Trinamool Congress MP and MLA delegation detained at Silchar airport #NRCAssam pic.twitter.com/G8l2l3OEFp
— ANI (@ANI) August 2, 2018
बयान के अनुसार, “वे लोग वहां कानून तोड़ने नहीं गए थे. इसके बावजूद उन्हें पीटा गया. वरिष्ठ सांसदों के साथ धक्का-मुक्की की गई. महिला सांसदों के साथ बदसलूकी की गई. क्या यह लोकतंत्र है?”
इससे पहले असम के सिलचर में कुमभिरग्राम हवाईअड्डे पर तृणमूल प्रतिनिधिमंडल को यहां जिला प्रशासन ने हवाईअड्डे से बाहर निकलने और लोगों से मिलने से रोक दिया. इस प्रतिनिधिमंडल को अधिकारियों ने पूरे कछार जिले में धारा 144 लागू होने के कारण हवाईअड्डे पर एक कमरे में रखा.
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प्रतिनिधिमंडल में शामिल तृणमूल के एक सदस्य ने कहा, “हम लोग सिलचर में कुछ लोगों से बात करने वाले थे. जब हम विमान से उतरे, जिला प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों ने हमें हवाईअड्डे से बाहर निकलने से रोका और बाद में हमें एक कमरे में रखा.”
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कहा जा रहा है कि तृणमूल के प्रतिनिधिमंडल ने प्रशासन से कहा कि वे लोग दो सदस्यों वाले चार अलग-अगल समूहों में बाहर जाएंगे जिससे धारा 144 का उल्लंघन नहीं होगा. जिला प्रशासन ने इस आग्रह को खारिज कर दिया.
असम सरकार ने 30 जुलाई को नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) मसौदे को प्रकाशित किया जिसमें 2.89 करोड़ लोगों के नाम शामिल हैं जबकि कुछ कमियों के चलते मसौदे से 40 लाख लोगों को बाहर रखा गया.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी असम एनआरसी सूची की मुखर विरोधी रही है. उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा है कि ‘यह एक वैश्विक मुद्दा है और यह केवल असम या भारत से जुड़ा एक मुद्दा नहीं है.’