लखनऊ: यूपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग ने तैयारी तेज कर दी है. देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य यूपी में कोरोना काल मे सुरक्षित चुनाव कराना चुनाव आयोग के लिए एक चुनौती से कम नही है. वैसे में कोविड काल मे मतदान केंद्रों पर कोरोना संक्रमण का खतरा कम करने के लिए चुनाव आयोग पोलिंग बूथों को बढ़ाने की तैयारी कर रहा है. चुनाव आयोग ने तय किया है कि अगले चुनाव में किसी भी पोलिंग बूथ पर 1200 से ज़्यादा मतदाता नही होंगे. इसके लिए पोलिंग बूथों की संख्या बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग तैयारियों में जुट गया है.
पूरे प्रदेश में 1 लाख 63 हज़ार के करीब पोलिंग बूथ हैं. पहले एक पोलिंग बूथ पर 1500 मतदाताओं की संख्या होती थी लेकिन अब जब मतदाताओं की संख्या एक बूथ पर सीमित होगी तो पूरे प्रदेश में 20 से 25 हज़ार पोलिंग बूथों की संख्या बढ़ सकती है. पोलिंग बूथों को बढ़ाने को लेकर निर्वाचन आयोग तैयारियों में जुटा है. बिहार और पश्चिम बंगाल विधानसभा के चुनाव में 1200 वोटर प्रति पोलिंग बूथ का मानक तय कर चुनाव करवाए गए थे. इसी तर्ज पर इस बार यूपी के विधानसभा चुनाव में भी 1200 वोटर प्रति पोलिंग बूथ का मानक ही तय किया गया है.
यह निर्णय बुधवार को नई दिल्ली के निर्वाचन सदन में मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चन्द्रा की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में लिया गया। बैठक में यूपी के अलावा पंजाब, उत्तराखण्ड, गोवा, पंजाब, मणिपुर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी शामिल हुए. इन सभी पांचों राज्यों में विधान सभा चुनाव होने हैं। बैठक में यूपी के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार शुक्ल के अलावा संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी रमेश चन्द्र राय, अवनीश सक्सेना, अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी चन्द्रशेखर शामिल हुए.
बैठक में यूपी के केन्द्रीय निर्वाचन आयोग की तरफ से यूपी के निर्वाचन अधिकारियों को विधानसभा चुनाव में गड़बड़ियों की शिकायतों के त्वरित निस्तारण और प्रभावी कार्रवाई करने के खास निर्देश दिए गए. इसके अलावा अब चूंकि 1200 वोटर प्रति पोलिंग बूथ का मानक तय कर दिया गया है, इसलिए पोलिंग बूथों की संख्या बढ़ेगी और मतदान केन्द्रों की स्थिति में भी बदलाव आएगा. पोलिंब बूथ बढ़ने की वजह से ईवीएम की संख्या बढ़ेगी, साथ ही पोलिंग स्टाफ, वाहन, आदि की तादाद भी बढ़ेगी.