मुंबईः महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख की मुश्किलें लगातार बढ़ती ही जा रही है. इडी ने अब जांच का दायरा और भी बढ़ा दिया है, सूत्रों ने बताया की इडी ने अपनी जांच में पाया देशमुख ने कई निजी बैंकों से बैड लोन लिए हैं मतलब ईडी को जांच के दौरान कुछ ऐसे सबूत मिले हैं जिसके अनुसार इन लोन को लेने के लिए लोन की प्रक्रिया के जो नियम होते हैं यहां उनका उल्लंघन हुआ है.
इडी इस बात की भी जांच कर रही है की अगर नियमो का उल्लंघन हुआ है तो किस किसने इन लोन को पास कराने में देशमुख की मदत की है. इडी के मुताबिक़ देशमुख ने इन लोन से मिली रक़म को उन कम्पनीयों में ट्रांसफ़र किया जिन पर देशमुख के परिवार वालों के मालिकाना हक़ हैं.
इडी सूत्रों ने यह भी बताया की उन्होंने इन कम्पनियों को जांच की तो उन्हें पता चला को इन कम्पनियों में से कुछ तो असली कम्पनी है और कुछ शेल कम्पनी हैं. अब इडी जांच कर रही है इस रक़म का आगे क्या हुआ इसका कहाँ कहाँ इस्तेमाल हुआ होगा?
देशमुख के पिए और पीएस पर क्या है आरोप?
संजीव पलांडे लगभग 20 सालों से बड़े नेताओं के साथ काम कर रहे है वो इस बार देशमुख के साथ पर्सनल सेक्रेटरी के तौर पर काम कर रहे थे. इसी बीच मार्च के महीने में मुम्बई पुलिस के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक खत लिखकर शिकायत की थी कि वो पूर्व पुलिस अधिकारी सचिन वाझे के माध्यम से पैसों की वसूली करवा रहे हैं
अपने खत में ये बताया कि देशमुख अपने सरकारी निवास ज्ञानेश्वरी मीटिंग लेकर पुलिस अधिकारी को हर महीने बार और होटलों से कम से कम 100 करोड़ रुपए की वसूली करने के आदेश दिए थे. उन्होंने यह भी कहा कि सचिन वाझे को देशमुख का संरक्षण मिला हुआ था.
सिंह ने यह भी कहा था कि आपको बताना चाहता हूं कि महाराष्ट्र सरकार के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने सचिन वाझे को कई बार अपने आधिकारिक बंगले में बुलाया और उगाही करने के आदेश दिए. इस दौरान उनके पर्सनल सेक्रेटरी मिस्टर पलांडे भी वहां पर मौजूद रहते थे.
पुलिस अधिकारियों के साथ हुई जब भी इस तरह की मीटिंग होती थी तब पलांडे वहां मौजूद होते थे. इसके अलावा इस बात की जानकारी शिंदे को भी होती थी.
ईडी के सूत्रों ने बताया कि अबतक इस मामले में 10 बार मालिकों के बयान दर्ज किए गए हैं, जिसमे पता चला कि इनलोगों ने अबतक 4 करोड़ रुपये इकट्ठा कर देशमुख के पिए और पीएस को पहुचाये हैं जिसके बाद वो पैसे सेल कंपनी के में डायवर्ट किये गए और फिर वो पैसे देशमुख के करीबियों के बैंक अकाउंट में वापस आये.
ईडी ने 24 जून को मुम्बई पुलिस के डीसीपी राजू भुजबल का बयान दर्ज किया गया और फिर छापेमारी के सिलसिला शुरू हो गया.