नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की राजनीति में जाति का एक अपना महत्वपूर्ण स्थान सदियों से रहा है। उत्तर प्रदेश में चलंत राजनीति के इतिहास को पलट कर देखा जाए तो यहां की राजनीतिक पार्टियों ने जाति को अपना मुद्दा बनाकर ही राज्य के सत्ता सिंहासन तक का सफर तय किया है. उत्तर प्रदेश में अगले साल ( 2022) में विधानसभा चुनाव होना है. आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सभी राजनीतिक पार्टी जातिगत वोट को साधने में जुटी है. इसी बीच बुधवार को एक न्यूज चैनल द्वारा आयोजित खास शो शहर बनारस में उत्तर प्रदेश सरकार में औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने जातिगत आधारित वोट पर बात करते हुए कहा कि मैं कभी जाति के आधार पर वोट नहीं मांगता है.
उन्होंने इस दौरान कई मुद्दों पर प्रमुखता से बात की और केन्द्र की भाजपा सरकार व उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार के द्वारा देश व प्रदेश में किए जा रहे काम व संचालित योजनाओं पर प्रकाश डाला. न्यूज नेशन और न्यूज स्टेट के द्वारा आयोजित खास शो शहर बनारस में एक सवाल के प्रतिउत्तर में सतीश महाना ने कहा कि राम मंदिर को हम राजनीति से नहीं जोड़ते हैं. साथ ही उन्होंने 2022 में उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कहा कि विकास के नाम पर उत्तर प्रदेश में वोट पड़ेगे. उन्होंने बंगाल और उत्तर प्रदेश की राजनीति को अलग बताया. आगे उन्होंने शो में बातचीत के दौरान कहा कि राम इस देश की आत्मा और आस्था है. हालांकि उन्होंने कहा कि 2014 से पहले राजनीति में जातिवाद हावी थी. काशी को लेकर शो बनारस में बातचीत को दौरान उत्तर प्रदेश सरकार में औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने कहा कि काशी अपने आप में आध्यात्मिक, ऐतिहासिक और सबसे बड़ा शहर है.
काशी को गलियों का शहर कहा जाता था. पीएम मोदी के निर्वाचित होने के बाद काशी को सड़कों का शहर कहा जाता है. काशी भोलेनाथ की नजरी है. भोलेनाथ के दरबार तक पहुंचने में भक्तों को परेशानी होती थी, लेकिन कॉरिडोर बनने के बाद भक्त आसानी से भोलेनाथ का दर्शन कर लेते हैं. औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना शो के दौरान कहा कि किसी के घर में बच्चा होता है तो ढोल बजाने के लिए लोग आ जाते हैं. मैं कभी जाति के आधार पर वोट नहीं मांगता है. सभी राजनीतिक दलों ने कहा कि ए हम ही हैं और वे बी ही रहेंगे.