नई दिल्ली : SC ने 19 वर्ष पुराने मुठभेड़ केस में उत्तर प्रदेश सरकार पर 7 लाख का जुर्माना लगाया। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को जमकर फटकार भी लगाई। सुप्रीम कोर्ट प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि प्रदेश के तंत्र के द्वारा UP के पुलिस अफसरों का बचाव किया जा रहा है। माननीय सुप्रीम कोर्ट पुलिस द्वारा कथित मुठभेड़ में मारे गए मृतक के पिता 19 वर्षों से दर-दर भटक रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ने प्रदेश को अपने ही पुलिस अधिकारियों को बचाने के प्रयास को ठीक नहीं बताया है।
न्यायमूर्ति विनीत शरण और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा प्रदेश ने इस केस में जिस ढिलाई से कार्रवाई की है उससे प्रतीत होता है कि कैसे राज्य के तंत्र के द्वारा उत्तर प्रदेश के पुलिस अफसरों का बचा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा मामले में राज्य ने जिस ढलाई के साथ करवाई की है, वह बताता है कि कैसे राज्य मशीनरी अपने पुलिस अधिकारियों का बचाव कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को कोर्ट रजिस्ट्री में सात लाख रुपये जमा करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता इस राशि को लेने का हकदार होगा।
2002 उत्तर प्रदेश पुलिस ने मुठभेड़ में एक व्यक्ति को मार गिराया था। इसके बाद वर्ष 2005 में पुलिस द्वारा अपने ही अफसरों के विरुद्ध आरोपों को खारिज करते हुए एक क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की गई। ट्रायल कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया, लेकिन इसके बावजूद कोई गिरफ्तारी नहीं हुई। निचली अदालत ने वर्ष 2018 और वर्ष 2019 में आरोपी पुलिस अफसरों को वेतन का भुगतान रोकने के निर्देश दिए थे, परन्तु आदेश की अवहेलना की गई । इसके पश्चात यह भी पाया गया कि चौथा आरोपी जो फरार था, उसे वर्ष 2019 में उसकी सेवानिवृत्ति पर उसके सभी सेवानिवृत्ति बकाया का भुगतान भी कर दिया गया था। 1 सितंबर, 2021 में SC के हस्तक्षेप के पश्चात दो गिरफ्तारियां हुईं ,और एक आरोपी ने सरेंडर कर दिया।