उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी की घटना पर SC ने नाराजगी जताई। लखीमपुर खीरी की घटना पर सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने केस की सुनवाई के वक्त कहा की जब किसी की जान चली जाती है या प्रॉपर्टी का नुकसान हो जाता है तो कोई भी जिम्मेदारी लेने के लिए सामने नहीं आता। केस की सुनवाई के वक्त अटॉर्नी जनरल (AG) ने लखीमपुर की घटना का सुप्रीम कोर्ट में जिक्र किया।
अटॉर्नी जनरल ने कहा इस आंदोलन से लखीमपुर खीरी में क्या हुआ। जस्टिस खानविलकर ने कहा जब किसी की मृत्यु होती है या प्रॉपर्टी को नुकसान किया जाता है तो कोई उसकी जिम्मेदारी लेने सामने नहीं आता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब यह केस कोर्ट में लंबित है और सरकार खुद कह रही है की कानून लागू नही करेंगे तो आंदोलन करने की क्या आवश्यकता है। लोगों को एक चीज चुननी होगी। या तो आंदोलन करें या अदालत से राहत मांग ।
दरअसल, SC ने यह टिप्पणी, सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किसान महापंचायत की जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन की अनुमति मांगने वाली याचिका पर किया। किसान महापंचायत ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मांग की थी की उन्हे दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन करने की इजाजत दी जाए। लेकिन साथ ही साथ किसान महापंचायत ने राजस्थान हाई कोर्ट में कृषि कानूनों को भी चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने किसान महापंचायत की राजस्थान हाई कोर्ट में दाखिल याचिका को आज सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने आज अहम टिप्पणी करते हुए कहा की लोगों को कोई एक चीज चुनना होगा। या तो अदालत से राहत मांगे या फिर आंदोलन करें। कोर्ट में 21 अक्टूबर को होगी अगली सुनवाई।सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर आपत्ति उठाते हुए कहा की इस संगठन ने एक तरफ हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। और दूसरी तरफ आंदोलन भी कर रहे है। ऐसा कैसे हो सकता है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट अब इस बात पर सुनवाई करेगा और फैसला देगा की अदालती कार्रवाई के साथ साथ कोई संगठन या व्यक्ति आंदोलन भी कर सकता है। कोर्ट के सामने ये बात आई है की क्या जब कोई मामला कोर्ट में लंबित है तो फिर उस पर कोई आंदोलन कैसे कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से सवाल पूछा कि अगर याचिकाकर्ता की ओर से क़ानून को एक कोर्ट मे चुनौती दी गई है तो फिर क्या मामला अदालत में लंबित रहते हुए विरोध प्रदर्शन की इजाजत दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कोर्ट ने 3 कृषि कानूनों पर रोक लगा दी है, कानून लागू करने के लिए कुछ भी नहीं है, किसान किस बारे में विरोध कर रहे हैं? सुप्रीम कोर्ट ने कहा अदालत के अलावा कोई अन्य कृषि कानूनों की वैधता तय नहीं कर सकता है।