शारदीय नवरात्रि शुरू हो गए हैं। ये वो दिन होते हैं जब हम मां दुर्गा की उपासना कर उनके नै स्वरुपों की पूजा करते हैं। इस साल शारदीय नवरात्रि 8 दिनों की होगी। हिन्दू पंचांग के अनुसार इस साल शारदीय नवरात्रि में तृतीया और चतुर्थी तिथि एक साथ पड़ रही है। नवरात्र में आदिशक्ति माता विंध्यवासिनी के नौ रूपों की आराधना की जाती है । पहले दिन जहाँ हिमालय की पुत्री पार्वती अर्थात शैलपुत्री के रूप में माँ का पूजन करने का विधान है वहीँ दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजन किया जाता है।
नवरात्र में नौ दिन माँ के अलग अलग रूपों की पूजा कर भक्त सभी कष्टों से छुटकारा पाते हैं । माता के किसी भी रूप में दर्शन करने मात्र से प्राणी के शरीर में नयी उर्जा, नया उत्साह व सदविचार का संचार होता है. प्रत्येक प्राणी को सदमार्ग पर प्रेरित वाली माँ का यह स्वरूप सभी के लिए आरध्यनीय है। विन्ध्य और माँ गंगा के तट पर विराजमान माँ विंध्यवासिनी ब्रह्मचारिणीके रूप सभी भक्तों का कष्ट दूर करती है ।
अनादिकाल से आस्था का केंद्र रहे विन्ध्याचल में विन्ध्य पर्वत व पवन पावनी माँ भागीरथी के संगम तट पर विराजमान माँ विंध्यवासिनी का दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजन व अर्चन किया जाता है । विन्ध्यक्षेत्र में माँ को विन्दुवासिनी अर्थात विंध्यवासिनी के नाम से भक्तों के कष्ट को दूर करने वाला माना जाता है । प्रत्येक प्राणी को सदमार्ग पर प्रेरित वाली माँ ब्रह्मचारिणी सभी के लिए आराध्य है । नौ दिन में माँ सभी भक्तों के मनोकामना को पूरा करती है । इस गृहस्थ जीवन में जिस – जिस वस्तुओं की जरूरत प्राणी को होता है वह सभी प्रदान करती है। माँ की सविधि पूजा अर्चना कर जप करने वाले भक्तो की सारी मनोकामना पूरी होती है।
नवरात्र में नौ दिन माँ के अलग अलग रूपों की पूजा कर भक्त सभी कष्टों से छुटकारा पाते हैं । माता के किसी भी रूप में दर्शन करने मात्र से प्राणी के शरीर में नयी उर्जा, नया उत्साह व सदविचार का संचार होता है। माँ के धाम में आने के बाद माँ की मनोहारी दर्शन कर भक्तो को परम शांति और सुख की अनुभूति होती है ।