उत्तर प्रदेश . कन्नौज के हाई फ्लड गांवो ने 11 वर्ष बाद बाढ़ की मुसीबतें एक बार फिर झेली हैं। इस बार यह परेशानी बरसात में नहीं बल्कि खुशनुमा कहे जाने वाले अश्विन यानी फुहार के मौसम में आयी है। ग्रामीणों को बर्बादी पर लाने वाले इस मौसम का कोई अंदाजा भी नही था। यही कारण है कि कन्नौज में गंगा किनारे बसे गांवो में बाढ़ ने इस बार कुछ अधिक ही तबाही मचायी है।
कन्नौज में काली व गंगा नदी किनारे बसे 18 गांवो को हाईफ्लड की सूची में रखा गया है। यह सभी गांव सदर तहसील में स्थित हैं। इनमें कन्नौज कछोहा, मेहंदीपुर व कासिमपुर अतिवृष्टि के पश्चात आयी बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं। यहां के जुकइया, सलेमपुर ताराबांगर, चौराचांदपुर, कटरी दुर्जनापुर और कटरी गंगपुर गांव की आबादी में भले ही पानी न घुसा हो, परन्तु इन गांवो के किसानों की हजारों बीघा धान, आलू व सरसों फसल बाढ़ की भेंट चढ़ गयी है। कासिमपुर गांव में ग्रामीणों को बाहर निकालने के लिये प्रशासनिक मशीनरी जुटी हुई है। यहां SDM सदर की अगुवाई में ग्रामीणों को बाहर निकालकर नाव से सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा रहा है। टापू बने गांवो में अभी भी ग्रामीणों को सहयोग का इंतजार है।
बाढ़ से हुये नुकसान के आंकलन में जुटे SDM सदर उमाकांत तिवारी का कहना है कि राजस्व टीमें बाढ़ प्रभावित गांवों का सर्वे कर रही हैं। नुकसान का आंकलन कर शासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी और बर्बाद किसानों व ग्रामीणों को उचित मुआवजा दिया जाएगा। बाढ़ झेल रहे ग्रामीणों के लिये राहत की बात यह है की अब गंगा का जलस्तर और नही बढ़ेगा। नरौरा बांध से पानी छोड़ा जाना बंद हो गया है। माना जा रहा है की देर रात से गंगा का जलस्तर घटना शुरू हो जाएगा।