सरकार के दखल से खाद्य तेल के मूल्यों पर अंकुश लगाने में मिला सहयोग : मंत्रालय

नई दिल्ली: अंतर्राष्ट्रीय जिंसों के मूल्य ज्यादा होने के बाद भी , केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों की सक्रिय भागीदारी के साथ किए गए उपायों के कारण खाद्य तेलों के मूल्यों में घटत हुई है। 
खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में यह बात कही।
मंत्रालय ने कहा कि खाद्य तेल के मूल्य एक वर्ष पूर्व की अवधि की तुलना में ज्यादा हैं, परन्तु अक्टूबर के पश्चात से इसमें कमी के रुझान देखने को मिलें है। सरकार आयात पर निर्भरता को कम करने के उद्देश्य से द्वितीयक खाद्य तेलों, विशेष रूप से चावल की भूसी के तेल के उत्पादन में सुधार लाने के लिए जरुरी कदम उठा रही है।
खाद्य और सार्वजनिक वितरण सचिव, सुधांशु पांडे ने मीडियाकर्मियों से कहा, सरकार के दखल के कारण, देशभर के विभिन्न शहरों में खाद्य तेल की खुदरा कीमतें 5 रुपये से 20 रुपये तक कम हो गई हैं।
मंत्रालय के बयान में आगे कहा गया है, खाद्य तेलों के मूल्यों पर अंकुश लगाने के  उद्देश्य से सरकार ने पाम तेल, सूरजमुखी के तेल और सोयाबीन के तेल पर आयात शुल्क को तर्कसंगत बनाया है। NCDEX  पर सरसों के तेल में वायदा कारोबार को निलंबित कर दिया गया है और भंडारण (स्टॉक) की सीमा लागू कर दी गई है।
शुल्क में कटौती के अतिरिक्त, स्टॉक की सीमा लागू करना एक और कदम रहा है। पांडे ने कहा, केंद्र राज्य सरकारों के साथ निरंतर संपर्क में है। उन्होंने कहा कि यूपी  पहले ही स्टॉक सीमा पर प्रतिबंध का एलान कर चुका है और तीन अन्य राज्य ऐसा करने की प्रक्रिया में हैं।
उन्होंने कहा, हम आने वाले हप्ते में इस मामले को अन्य राज्यों के सामने उठाएंगे।
सरकार ने बीते एक वर्ष से खाना पकाने के तेल के मूल्यों में निरंतर बढ़त को रोकने  के उद्देश्य से कच्चे पाम तेल, कच्चे सोयाबीन के तेल और कच्चे सूरजमुखी के तेल पर बेसिक ड्यूटी को 2.5 फीसदी से काम कर के शून्य कर दिया है।
इन तेलों पर कृषि उपकर को कच्चे पाम तेल के लिए 20 प्रतिशत से घटाकर 7.5 प्रतिशत और कच्चे सोयाबीन तेल एवं कच्चे सूरजमुखी तेल के लिए घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है।
उपरोक्त कटौती के परिणामस्वरूप, कच्चे पाम तेल के लिए कुल शुल्क 7.5 प्रतिशत और कच्चे सोयाबीन के तेल एवं कच्चे सूरजमुखी के तेल के लिए 5 प्रतिशत है। आरबीडी पामोलिन तेल, रिफाइंड सोयाबीन और रिफाइंड सूरजमुखी के तेल पर बेसिक ड्यूटी मौजूदा 32.5 प्रतिशत से घटाकर 17.5 प्रतिशत कर दी गई है।
कटौती से पहले, कच्चे खाद्य तेलों के सभी किस्मों पर कृषि अवसंरचना उपकर 20 प्रतिशत था। कटौती के बाद कच्चे पाम तेल पर 8.25 प्रतिशत,कच्चे सोयाबीन के तेल एवं कच्चे सूरजमुखी के तेल में से प्रत्येक पर 5.5 प्रतिशत का प्रभावी शुल्क होगा।
पांडे ने यह भी कहा कि सरकार के कहने के बाद प्रमुख खाद्य तेल कंपनियों ने थोक कीमतों में 4-7 रुपये प्रति लीटर की कटौती की है, जिससे त्योहारी सीजन के दौरान उपभोक्ताओं को राहत मिली है।

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