मुंबई| संजय दत्त के बाद एक और स्टार किड प्रतीक बब्बर ने साफगोई से स्वीकार किया है कि नाकामियों के लिए कोई और नहीं बल्कि उनकी नशे की लत जिम्मेदार है। वर्ष 2008 में आई फिल्म ‘जाने तू..या जाने ना’ से बॉलीवुड में शानदार शुरुआत करने वाले प्रतीक बब्बर का कहना है कि वह कई फिल्मों में मुख्य भूमिका अदा कर सकते थे, लेकिन वह स्वीकार करते हैं कि बॉलीवुड में धीमे सफर के लिए उनकी नशे की लत और उनके अपने कृत्य ही जिम्मेदार हैं।
प्रतीक ने फिल्म समीक्षकों द्वारा सराही गई ‘धोबी घाट’ में भी काम किया था। अभिनेता से राजनेता बने राज बब्बर और दिवंगत अभिनेत्री स्मिता पाटिल के बेटे प्रतीक ने नशे के सेवन से लड़ाई लड़ी है। ठीक वैसे ही जैसे सुनील दत्त और नरगिस के पुत्र संजय दत्त ने एक ज़माने में लड़ी थी। छुटकारे के लिए प्रतीक तीन साल तक बड़े पर्दे से दूर रहे और उन्होंने इस साल ‘बागी-2’ से प्रभावकारी वापसी की।
जब उनसे पूछा गया कि क्या वह अपने धीमे करियर के लिए नशे के सेवन को जिम्मेदार ठहराते हैं तो प्रतीक ने आईएएनएस ने साफ़ कहा – “जी हां, मैं अपने कृत्यों की पूरी जिम्मेदारी लेता हूं और खुद को व दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों दोनों को साथ में जिम्मेदार ठहराता हूं।”
31 वर्षीय अभिनेता ने फिल्म जगत में एक दशक पूरा कर लिया और इसे उतार चढ़ाव से भरा सफर करार दिया। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि इस उद्योग में मेरे सफर के 10 साल काफी उतार-चढ़ाव वाले रहे हैं। मुझे किसी चीज का पछतावा नहीं है सिवाए एक के कि मेरे दादा-दादी मेरी जिंदगी के इस पड़ाव में अच्छी चीजों को देखने के लिए यहां नहीं हैं। मुझे लगता है कि पछतावा सिर्फ भार है और उससे केवल निराशा ही मिलती है।”
‘एक दीवाना था’ के अभिनेता की हालिया फिल्म ‘मुल्क’ को समीक्षकों और दर्शकों से काफी सराहना मिली है।
प्रतीक अब बड़े पर्दे पर और अधिक प्रभावशाली किरदार निभाने की ओर अग्रसर हैं।
उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि कंटेंट आधारित प्रभावशाली किरदार निभाना चुनौतीपूर्ण है लेकिन यह प्रतिष्ठित किरदार भी होते हैं और यह ऐसा कुछ है जो मुझे लगता है कि मैं इसके लिए इच्छुक हूं और मैं ऐसे किरदारों की उम्मीद कर रहा हूं।”