यौन उत्पीड़न संबंधित मामलों के पीड़ितों के साथ संवेदनशील तरीके से निपटने के महत्व को दोहराते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने लोवर कोर्ट को कई गाइडलाइन जारी किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि पोस्को से संबंधित सभी केस में बंद कमरे में सुनवाई की इजाजत दी जानी चाहिए।
CRPC की धारा-327 के मुताबिक , मात्र दुष्कर्म के केस में बंद कमरे में सुनवाई आवश्यक है। शीर्ष अदालत ने इस दायरे को बढ़ाया है। इसके अतिरिक्त सर्वोच्च न्यायालय ने यह सुनिश्चित करने के लिए गाइडलाइन जारी की है कि पीड़ित से जिरह संवेदनशील और सम्मानजनक तरीके से की जाए।
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि यौन संबंधित की शिकायतकर्ताओं के लिए कानूनी कार्यवाही ज्यादा मुश्किल होती है क्योंकि वे आघात और सामाजिक शर्म से निपटते हैं। लिहाजा ऐसे केस को उचित रूप से देखने के लिए अदालत की एक अहम जिम्मेदारी है। न्यायालय ने कहा है कि लोवर कोर्ट का यह कर्तव्य और उत्तरदायित्व है कि वे पीड़ितों के साथ उचित तरीके से निपटें।