supreme court on ews quota: गरीब सामान्य वर्ग के लोगों यानी EWS को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10% रिजर्वेशन देने के केस में सर्वोच्च न्यायालय सोमवार यानी आगामी कल को अपना आदेश सुनाएगा। इस केस की सुनवाई चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया यूयू ललित, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी, एस रवींद्र भट, बेला एम त्रिवेदी और जेबी पारदीवाला की पांच न्यायाधीशों की पीठ कर रही है। सर्वोच्च न्यायालय ने बीते 27 सितंबर को इस कानूनी प्रश्न पर निर्णय सुरक्षित रख लिया था कि क्या EWS को रिजर्वेशन देना संविधान के प्राथमिक ढांचे के खिलाफ है या फिर नहीं है।
जनवरी 2019 में सरकार ने संविधान में 103वां एमेडमेंट करते हुए वित्तीय रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को रिजर्वेशन दिया था, जिसके पश्चात तमिलनाडु की सत्ता काबिज पार्टी द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (DMK) समेत कई लोगों ने याचिका दाखिल की है।
सीनियर एडवोकेट शेखर नफड़े ने तमिलनाडु गवर्मेंट की तरफ से EWS रिजर्वेशन का विरोध करते हुए कहा है कि कोटा देने का आधार वित्तीय मानदंड नहीं हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट को सरकार के इस निर्णय पर विचार करना चाहिए। वहीं केंद्र सरकार की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत हुए अधिवक्ता ने कहा कि यह कानून आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए राहत का प्रविधान करता है। इस एक्ट से संविधान के बुनियादी ढांचे को और ज्यादा मजबूती मिलेगी। EWS में किसी भी प्रकार से संविधान का उल्लंघन नहीं हुआ है।