नोटबंदी नहीं, रघुराम राजन की नीतियों की वजह से कमजोर हुई थी अर्थव्यवस्था: राजीव कुमार

नई दिल्ली: नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन पर हमला बोला है. समाचार एजेंसी से बात करते हुए उन्होने कहा कि पिछले तीन साल में अर्थव्यवस्था कमजोर होने का कारण नोटबंदी नही थी बल्कि रघु राम राजन की नीतियां थी.

उन्होने कहा कि आर्थिक मंदी की वजह एनपीए (नॉन प्रोफिट एसेट्स) में होने वाली बढ़ोतरी थी, जब भाजपा सत्ता में आई तो उस समय 4 लाख करोड़ एनपीए थे जो 2017 में साढ़े दस करोड़ तक पहुंच गई. इसकी वजह रघु राम राजन की नीतियों को बताते हुए राजीव कुमार ने कहा कि पूर्व आरबीआई गवर्नर के समय कुछ ऐसे मैकेनिज्म को तैयार किया जिसने नॉन प्रोफिट एसेट्स की पहचान करना शुरू किया जिससे इनकी संख्या में बढ़ोतरी हुई.

राजीव कुमार ने कहा कि एनपीए के कारण बैंकिंग सैक्टर ने उधोगपतियों को लोन देना बंद कर दिया जिससे कई छोटे उधोगों और बड़े उधोगों के क्रेडिट ग्रोथ में कमी आई. राजीव कुमार के मुताबिक देश की अर्थव्यवस्था में ऐसा पहली बार हुआ था जब क्रेडिट ग्रोथ 1 प्रतिशत से नेगेटिव में भी चली गई थी. उन्होने कहा कि इसी कारण से देश की अर्थव्यवस्था में कमजोरी आई थी जो इस सरकार द्वारा क्रेडिट देकर सुधारी गई.

राजीव कुमार पहले भी कर चुके हैं रघुराम राजन की आलोचना

बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है जब राजीव कुमार ने रघु राम राजन की नीतियों पर सवाल उठाए हैं. बल्कि इससे पहले पिछले साल जब वो नीति आयोग के उपाध्यक्ष बनें, तो उन्होने विदेशी मूल के अर्थशास्त्रियों के भारतीय अर्थव्यवस्था से जुड़े नीति निर्धाऱण के कार्यों से हटाए जाने पर संतोष जताया था. दैनिक जागरण के लिए लिखे एक संपादकीय में उन्होने लिखा था कि नीति निर्धारण के कामों में एक बदलाव होने वाला है. यह बदलाव आर्थिक क्षेत्र पर से विदेशी रंग का (ख़ास तौर पर भारतीय-अमेरिकी) असर धूमिल होने के रूप में देख जा सकता है.

उन्होने विदेशी मूल के अर्थशास्त्रियों के असर को कम करने की बात कही थी, उन्होने लिखा था कि विदेशी मूल के अर्थशास्त्रियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को समाजवाद के रास्ते पर चलाया है. देश की अर्थव्यवस्था ने मार्क्सवादी विचारधारा पर चलने की भारी कीमत चुकाई है. इसकी वजह से दशकों तक हमारी नीतियां साम्यवादी,कल्पनालोक के निर्रथक विचारों, समाजवादी लक्ष्यों, केंद्रीकृत नियोजन और निष्क्रिय नियमन का शिकार रही.

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles