सर्वोच्च न्यायालय ने इलेक्शन कमिश्नर की नियक्ति पर प्रश्न खड़े किए हैं। शीर्ष अदालत ने कहा है कि संविधान ने चीफ इलेक्शन कमिश्नर (CEC) के “नाजुक कंधों” पर भारी शक्तियां निहित की हैं और यह अहम है कि “मजबूत चरित्र वाले व्यक्ति” को इस पद की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की मार्गदर्शन वाली 5 न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने इलेक्शन कमीशन के सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया में बदलाव की सिफारिश करने वाली अर्जियों पर मंगलवार को सुनवाई की।
शीर्ष अदालत ने कल कहा था कि ”जमीनी स्थिति भयावह है” और वह दिवंगत टी एन शेषन जैसा चीफ इलेक्शन कमिश्नर चाहती है, जिन्हें 1990 से 1996 तक निर्वाचन आयोग के मुखिया के रूप में अहम चुनावी सुधार लाने के लिए जाना जाता है। न्यायमूर्ति जोसेफ ने आज कहा- हम सरकार यह भी जानती है कि जिनको वह कमिश्नर और प्रधान आयुक्त नियुक्त कर रही है वो प्रावधान के अनुसार अपना 6 वर्ष का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएंगे। ऐसे में चीफ इलेक्शन कमिश्नर स्वतंत्र रूप से कामकाज नहीं कर पाते।
न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा कि”योग्यता के अतिरिक्त, जो अहम है वह यह है कि आपको चरित्र वाले किसी व्यक्ति की जरूरत है, कोई ऐसा व्यक्ति जो स्वयं को बुलडोजर से चलने न दे। ऐसे में प्रश्न यह है कि इस व्यक्ति की नियुक्ति कौन करेगा?