सर्वोच्च न्यायालय की जज जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने रेप और हत्या केस के 11 दोषियों की वक्त से पहले रिहाई को चुनैती देने वाली गुजरात दंगों की पीड़िता बिलकिस बानो की अर्जी पर सुनवाई से स्वयं को अलग कर लिया है।
मंगलवार को जैसे ही जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच में केस की सुनवाई प्रारंभ हुई, जस्टिस रस्तोगी ने कहा कि उनकी बहन जस्टिस त्रिवेदी इस केस की सुनवाई नहीं करना चाहती हैं। जस्टिस रस्तोगी के नेतृत्व वाली बेंच ने केस को एक ऐसी बेंच के सामने सूचीबद्ध करने का आदेश दिया, जिसमें दोनों में से कोई जज न हो। हालांकि, बेंच ने जस्टिस त्रिवेदी के केस पृथक होने की वजह नहीं बताई।
गौरतलब है कि, बिलकिस बानो ने सर्वोच्च न्यायालय में एक अलग अर्जी भी दाखिल की है, जिसमें उन्होंने एक दोषी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के 13 मई, 2022 के आदेश की समीक्षा की मांग की गई है। कोर्ट में अपने आदेश में गुजरात सरकार से 9 जुलाई, 1992 की एक नीति के संदर्भ में दोषियों की वक्त से पूर्व रिहाई की अर्जी पर विचार करने को कहा था।