Free Speech Case: सार्वोच्च न्यायालय का कहना है कि किसी भी पार्टी कार्यकर्ता या मंत्री की तरफ से दिए गए बयान के लिए सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। इसके लिए बयान देने वाला मंत्री या कार्यकार्ता ही जिम्मेदार है। अदालत ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 19(2) के तहत निर्धारित प्रतिबंधों के अतिरिक्त कोई भी अतिरिक्त प्रतिबंध नागरिक पर नहीं लगाया जा सकता है।
जस्टिस बीवी नागरत्न ने एक अलग आदेश में कहा कि यह संसद के विवेक में है कि वह सार्वजनिक पदाधिकारियों को साथी नागरिकों के विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणी करने से रोकने के लिए एक कानून बनाए।
Supreme Court says that no additional restrictions, other than those prescribed under Article 19(2) of the Constitution, can be imposed on a citizen under right to freedom of speech & expression.
Statement made by a minister can't be vicariously attributed to the govt, says SC pic.twitter.com/iLBb0vP9kb
— ANI (@ANI) January 3, 2023
जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा, “यह राजनीतिक दलों के लिए है कि वे अपने मंत्रियों द्वारा दिए गए भाषणों को नियंत्रित करें, जो एक आचार संहिता बनाकर किया जा सकता है। कोई भी नागरिक जो इस तरह के भाषणों या सार्वजनिक अधिकारी द्वारा अभद्र भाषा से हमला महसूस करता है, वह अदालत जा सकता है।”