चॉकलेट के उदाहरण से SC/ST विवाद समझा रही सुमित्रा महाजन

नई दिल्ली: पूरे देशभर में एसीएसटी एक्ट को लेकर विवाद चल रहा है, एक के बाद एक विरोध हो रहे हैं. कभी दलित भारत बंद का आह्वान करते हैं तो कभी स्वर्ण. ऐसे में लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने इस विवाद को चॉकलेट का उदाहरण देकर लोगों को समझाने की कोशिश की है.

मोदी सरकार एससीएसटी एक्ट को लेकर उधेड़ बुन में है, आगामी लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार न तो स्वर्णों को नाराज करना चाहती है और न ही दलित विरोधी दिखना चाह रही है. गुरुवार को देश के एससीएसटी एक्ट में सरकार द्वारा लाए गए संशोधन के खिलाफ कई राज्यों में स्वर्णों के विरोध के बाद भारतीय जनता पार्टी असहज हो गई है.

इसलिए भारतीय जनता पार्टी ने अपने हर नेता को ये उलझन सुलझाने की मांग की है. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी की उच्च कमान ने अपने सभी स्वर्ण नेताओं को ये जिम्मेदारी दी है कि वो स्वर्णों के बीच जाकर उनसे बात करें.

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भारतीय जनता पार्टी के एक संगठन द्वारा आयोजित किए गए एक कार्यक्रम में लोकसभा स्पीकर ने कहा कि एससीएसटी एक्ट पर राजनीति नही होनी चाहिए. सभी पार्टियों ने मिलकर एक्ट में संशोधन लाया था. इस समस्या को समझाते हुए सुमित्रा महाजन ने चॉकलेट का उदाहरण दिया.

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक लोकसभा स्पीकर ने कहा, “छोटी सी साइकोलोजी की बात है, अगर एक बार में मेरे बेटे के हाथ में बड़ा सा चॉकलेट दे दिया. मुझे किसी तीसरे ने कहा कि इतना बड़ा चॉकलेट देना अच्छी बात नही है, फिर आप उस बच्चे के हाथ से जबरदस्ती चॉकलेट वापिस छीनेंगे तो वो गुस्सा करेगा, रोयेगा. ऐसे में घर के कुछ दो तीन बड़े समझदार लोग उसे समझाने में लग जाएंगे. वो धीरे से चॉकलेट हाथ से निकाल लेंगे.”

सुमित्रा महाजन ने आगे कहा, “किसी को दी हुई चीज कोई तुरंत छीनना चाहे तो विस्फोट हो सकता है, बात समझो, सरकार ने ऐसा क्यों किया, विस्फोट हो सकता है.”

सुमित्रा महाजान ने सुप्रीम कोर्ट के मार्च में एससी एसटी एक्ट के खिलाफ आए नतीजे पर बोलते हुए कहा कि कोर्ट ने एक दिन में ओर्डर दे दिया लेकिन सरकार को प्रशासन संभालना होता है, जब कोर्ट ने अचानक से फैसला दिया तो संसद ने कहा कि ये इस तरह नही हो सकता और अपने विचार आगे रखे.

दलितों की स्थिति पर बोलते हुए लोकसभा स्पीकर ने कहा कि उन पर अन्याय हुआ इसलिए हम पर अन्याय हो, दोनों के ऊपर बराबर अन्याय हो ये बात तो ठीक नही है.

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बता दें कि 20 मार्च 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एससी एसटी अत्याचार निरोधक कानून में शिकायत मिलने के बाद तुरंत मामला दर्ज नहीं होगा. पहले डीएसपी शिकायत की प्रारंभिक जांच करके पता लगाएगा कि मामला झूठा तो नहीं है. इसके अलावा इस कानून में एफआईआर दर्ज होने के बाद अभियुक्त को तुरंत गिरफ्तार नहीं किया जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देशभर में दलितों ने भारत बंद कर विरोध प्रदर्शन किया. जिसके बाद सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अध्यादेश लाना पड़ा और संशोधन में बदलाव किए.

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