विश्वजीत भट्टाचार्य: रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे रघुराम राजन ने वित्तीय मामलों की संसदीय समिति को एनपीए यानी बैड लोन पर पूछे गए सवालों का जो जवाब दिया है, वह कांग्रेस के साथ बीजेपी सरकार के लिए भी मुश्किल खड़ी कर रहा है. राजन ने साफ कर दिया है कि लोन लेकर न चुकाने वाले बड़े बकाएदारों के नाम उन्होंने यूपीए सरकार के दौर में सीधे प्रधानमंत्री के दफ्तर को भेजे थे, लेकिन तबसे लेकर मोदी सरकार के राज में भी किसी कार्रवाई की जानकारी उन्हें नहीं है. राजन के इस जवाब से बीजेपी के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है. क्योंकि बीजेपी राजन के जवाब को आधार बनाकर कांग्रेस को लोन न चुकाने वालों के खिलाफ कार्रवाई न करने का जिम्मेदार बता रही है.
क्यों चुप रहा पीएमओ ?
संसदीय समिति के चेयरमैन डॉ. मुरली मनोहर जोशी को भेजे गए अपने जवाब में रघुराम राजन ने कहा है कि उन्होंने पीएमओ को बड़े लोन डिफॉल्टर्स के नाम भेजे, लेकिन क्या कार्रवाई हुई, इसका पता उन्हें नहीं है. बता दें कि रघुराम राजन की नियुक्ति भले ही यूपीए सरकार के दौर में बतौर रिजर्व बैंक गवर्नर हुई थी, लेकिन मोदी सरकार के दौर में भी काफी दिन वह इसी पद पर थे. ऐसे में पीएमओ की तरफ से चुप्पी साधे रहने का उनका ये बयान मनमोहन सिंह के साथ ही नरेंद्र मोदी के कार्यकाल पर भी सवालिया निशान खड़े करता है.
रिजर्व बैंक की बड़ी गड़बड़ी की ओर भी इशारा
रघुराम राजन ने संसदीय समिति को भेजे अपने जवाब में रिजर्व बैंक की एक बड़ी गड़बड़ी की ओर भी इशारा किया है. राजन ने पेज नंबर 7 में लिखा है कि हर बैंक के बोर्ड में रिजर्व बैंक की ओर से नामित लोग रहते हैं, लेकिन इन नामित लोगों को उद्योगों को कर्ज देने के तौर-तरीकों का अनुभव नहीं होता. बैंक के बोर्ड में शामिल रिजर्व बैंक के नामित सिर्फ इस पर नजर रखते हैं कि कर्ज देने में नियमों का पालन किया जाए. रघुराम राजन ने कहा है कि इसी वजह से रिजर्व बैंक का हर गवर्नर इन नामित लोगों को बैंक के बोर्ड से हटाने की मंजूरी सरकार से मांगता रहा है.
लेखक वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार हैं, इनसे [email protected] के जरिए संपर्क किया जा सकता है.