सूडान पिछले एक सप्ताह से हिंसा की आग में झुलस रहा है। 15 अप्रैल से सूडान में शुरू हुई हिंसा में अभी तक 400 लोगों की मौत हो चुकी है। राजधानी खार्तूम सहित सूडना के कई शहरों में जान-माल का भारी नुकसान हुआ है। हजारों लोग बेघर हो गए। बम-गोलों की बारिश से बचने के लिए लोग अपने-अपने घरों में दुबक कर रहने को विवश हैं। आलम यह है कि राजधानी खार्तूम तक में कई अस्पताल तक बंद हो गए हैं।
इस हिंसा के बीच भारत के भी कई लोग सूडान के अलग-अलग हिस्सों में फंसे हैं। जिन्हें वापस लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक दिन पहले उच्चस्तरीय बैठक की थी। इस हिंसा के कारण सबसे ज्यादा परेशानी सूडान की महिलाओं और बच्चों को हो रही है। यौन शोषण, बलात्कार जैसी घटनाएं यहां काफी बढ़ गई है। प्रग्नेंट महिलाओं को न डॉक्टर मिल रहे हैं और न क्लीनिक। इस विषम परिस्थिति को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र महिला आयोग ने चिंता जताई है।
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— Ahmed Babiker (@hm__840) April 17, 2023
सूडान अफ्रीका महादेश में है। 2011 के गृह युद्ध और दक्षिण सूडान के अलग होने से पहले तक सूडान अफ्रीकी महादेश का सबसे बड़ा देश हुआ था। इस देश की सीमाएं सात देशों से लगती है। सूडान के उत्तर में शक्तिशाली देश मिस्र तो पूर्व में इरिट्रिया और इथियोपिया है। अंतरराष्ट्रीय कारोबार के लिहाज से अहम लाल सागर सूडान के उत्तर-पूर्व में स्थित है। दक्षिण में दक्षिण सूडान स्थित जबकि पश्चिम में चाड और लीबिया है।
यूं तो सूडान में संघर्ष 2021 से ही चल रहा है। इसके पीछे नागरिक सरकार को सत्ता हस्तांतरित करने की मांग है। लेकिन अभी जो हिंसा शुरू हुई है उसके पीछे मुख्य विवाद सेना और अर्धसैनिक बल ‘RSF’ के विलय को लेकर है। दरअसल आरएसएफ के जवानों को अपने लिए खतरा मानते हुए सेना ने पिछले सप्ताह इनकी तैनाती को बदलते हुए नई व्यवस्था शुरू की। इसे लेकर RSF जवानों में नाराजगी है।
सूडान में अक्तूबर 2021 में नागरिकों और सेना की संयुक्त सरकार का तख्तापलट हुआ था। जिसके बाद से ही सेना और अर्धसैनिक बल आमने-सामने हैं। इस समय सूडान की सत्ता सॉवरेन काउंसिल के जरिए सेना और RSF के हाथों में है। सरकार की असली कमान सेना प्रमुख जनरल अब्देल फतेह अल बुरहान के पास हैं। बुरहान एक तरह से देश के राष्ट्रपति हैं।