2019 में रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी द्वारा दिए गए मोदी सरनेम वाले बयान पर मानहानि मामले में गुजरात हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है।गुजरात हाई कोर्ट ने मानहानि मामले में सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने राहुल गांधी की ओर से सजा पर रोक लगाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका को भी खारिज कर दिया। निचली अदालत द्वारा दिए गए फैसले को हाईकोर्ट ने सही माना है।
बता दें कि राहुल गांधी ने 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक में एक रैली के दौरान मोदी सरनेम को लेकर बयान दिया था। इस बयान को लेकर BJP MLA पूर्णेश मोदी ने राहुल के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था। मामला दर्ज करने के चार साल बाद इसी साल 23 मार्च को सूरत की निचली अदालत ने राहुल को दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा सुनाई थी और उनके संसदीय सदस्यता को रद्द कर दिया था।
Gujarat High Court upholds Sessions Court's order denying stay on conviction of Rahul Gandhi in the defamation case against 'Modi surname' remark. pic.twitter.com/Qzw15PE0Ij
— ANI (@ANI) July 7, 2023
गुजरात हाईकोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद राहुल गांधी के ऊपर जेल जाने की तलवार लटकती दिख रही है। बता दें कि राहुल गांधी को इस साल 23 मार्च को निचली अदालत ने दो साल की सजा सुनाई गई थी। सजा सुनाने के साथ ही कोर्ट ने उन्हें सेशंस कोर्ट जाने के लिए 30 दिन का वक्त दिया था। लेकिन सेशंस कोर्ट ने भी राहुल गांधी की अपील खारिज कर दी थी। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या राहुल गांधी जेल जाने वाले हैं।
मोदी सरनेम वाले मामले में सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस हेमंत की बेंच याचिका खारिज करते हुए कहा, राहुल गांधी बिल्कुल बचकाने और अस्तित्वहीन आधार पर राहत पाने की कोशिश कर रहे हैं। निचली अदालत द्वारा सुनाई गई सजा पर रोक लगाने का कोई नियम नहीं है, बल्कि एक अपवाद है, जिसका सहारा दुर्लभ केसों में किया जाता है।
आवेदक यानी राहुल गांधी के खिलाफ लगभग 10 आपराधिक मामले लंबित हैं। यहां तक कि इस शिकायत के बाद राहुल गांधी के खिलाफ एक और शिकायत वीर सावरकर के पोते ने दर्ज कराई। इसका मतलब ये हुआ की आप गलती करने से बाज नहीं आ रहे।
निचली कोर्ट द्वारा दी गई सजा पर रोक न लगाना राहुल गांधी के साथ बिलकुल भी अन्याय नहीं होगा। दोषसिद्धि पर रोक लगाने का कोई उचित तर्क और फैक्ट नहीं दिया गया। सेशन कोर्ट द्वारा दिया गया आदेश न्यायसंगत एवं सर्वथा उचित है।