टी20 क्रिकेट की लोकप्रियता को देखते हुए अब वनडे क्रिकेट पर खतरा मंडरा रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना महामारी के बाद एकदिवसीय क्रिकेट में लोग कम दिलचस्पी दिखा रहे हैं। खुलासा हुआ है कि टी20 लीग की बढ़ती संख्या के कारण फैंस द्विपक्षीय एकदिवसीय मैचों को हल्के में ले रहे हैं। इसलिए इन सीरीज के लिए आईसीसी को प्रसारक जुटाना भी भारी पड़ रहा है। संभावित प्रसारक भी बड़ी टिकट वाली टेस्ट सीरीज या फिर टी20 सीरीज पर ही अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उनका मानना है कि 7 घंटे के वनडे मैच और द्विपक्षीय सीरीज अब पैसा कमाने का जरिया नहीं रह गए हैं।
दरअसल, डरबन में आईसीसी की बैठक होनी है, जिसमें वनडे के भविष्य पर चर्चा की जाएगी। आईसीसी के एक सदस्य ने पीटीआई को बताया कि वनडे वर्ल्ड कप 2023 और चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के करीब होने के बावजूद वनडे ने कोविड-19 युग के बाद से कुछ प्रासंगिकता खोई हैा टी20 लीग की बढ़ती संख्या ने द्विपक्षीय एकदिवसीय वनडे सीरीज को अनावश्यक बना दिया है।
उन्होंने कहा कि सिर्फ भारत जैसे देशों को ही 50 ओवर के मैच वाले वर्ल्ड कप और चैंपियंस ट्रॉफी जैसे आईसीसी इवेंट में भीड़ मिल सकती है। अब ऐसा समय आ गया है कि पांच या तीन मैचों की द्विपक्षीय सीरीज के भविष्य की भविष्यवाणी टी20 क्रिकेट की शुरुआत के साथ करना संभव नहीं है। टी20 वर्ल्ड कप दो साल में एक बार होता है। वहीं साल भर विभिन्न लीग का आयोजन होता है।
आईसीसी बोर्ड के सदस्य ने बताया कि संभावित प्रसारक भी बड़ी टिकट वाली टेस्ट सीरीज और टी20 सीरीज पर ही अपना ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं। सात घंटे के एकदिवसीय मैच और महत्वहीन द्विपक्षीय सीरीज पर अब पैसा लगाने वाले नहीं रह गए हैं। इसलिए आईसीसी के सदस्य देशों को उस पहलू पर गहन विचार-विमर्श करने की जरूरत है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि पिछले साल टी20 वर्ल्ड कप के ठीक बाद इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच वनडे सीरीज हुई थी, लेकिन बहुत ही कम लोगों को यह याद होगा कि उसमें क्या हुआ था। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि द्विपक्षीय वनडे मैचों की रिकॉल वैल्यू कम होती जा रही है। बता दें कि विश्व कप 2019 और विश्व कप 2023 के बीच केवल 5 एकदिवसीय श्रृंखला हुई हैं। जबकि 2015 और 2019 विश्व कप के बीच यह संख्या 42 थी।