मणिपुर में दो महिलाओं की निर्वस्त्र परेड कराने का वीडियो सामने आने के बाद से पूरे देश में आक्रोश है। इसके बाद से पश्चिम बंगाल, राजस्थान, बिहार जैसे राज्यों से महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न, मारपीट जैसी घटनाएं अब चर्चा में हैं। इसे लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। अब इस मामले में सोमवार को अदालत में सुनवाई हुई तो SC ने मणिपुर पुलिस से कई सख्त सवाल किये। शीर्ष अदालत ने मणिपुर पुलिस से पुछा- जब महिलाओं के साथ दरिंदगी की घटना 4 मई को हुई और FIR 18 मई को दर्ज हुआ। कम से कम दो महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ। इन 14 दिनों तक पुलिस क्या कर रही थी। अब इस मामले की सुनवाई कल 1 अगस्त दोपहर ओ बजे होगी।
आगे इस मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायधीश ने केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि हमें एक ऐसा मेकेनिज्म बनाना होगा, जिसमें महिलाओं के साथ हुई हिंसा और यौन उत्पीड़न की घटनाओं का समाधान निकाला जा सके। इस मेकेनिज्म के तहत यह तय हो कि पीड़ितों को त्वरित न्याय मिल जाए।
इस दौरान दोनो महिला जिनके साथ ये दरिंदगी हुई उनका पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि पीड़ितों का कहना है कि केस को मणिपुर से बाहर न भेजा जाए। इसके अलावा वे CBI जांच के भी विरोध में हैं। इस पर केंद्र सरकार की ओर से दलील दे रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हमने कभी यह बात नहीं कही कि ट्रायल को असम या फिर किसी और राज्य में ट्रांसफर किया जाए। हमने यह कहा है कि केस को मणिपुर से बाहर भेजा जाए। ताकि जांच प्रभावित न हो पाए।
दोनों पीड़ित महिलाओं का पक्ष रख रहे कपिल सिब्बल ने कहा कि यह स्पष्ट है कि पुलिस उन लोगों के साथ सहयोग कर रही थी, जिन्होंने दोनों महिलाओं के खिलाफ हिंसा को अंजाम दिया। पुलिस ने इन महिलाओं को भीड़ में ले जाकर छोड़ दिया और भीड़ ने वही किया, जो वे करते थे।
सिब्बल ने कहा, पीड़ित महिलाओं में से एक के पिता और भाई की हत्या कर दी गई थी। शव कहां है इसका पता भी नहीं चला। 18 मई को जीरो FIR दर्ज की गई। जब अदालत ने संज्ञान लिया, तब कुछ हुआ। तो फिर हम कैसे भरोसा करें? ऐसी कई घटनाएं होंगी। इसलिए हम एक ऐसी एजेंसी चाहते हैं, जो मामले की जांच करने के लिए स्वतंत्र हो।
केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान कहा- अगर Supreme Court मामले की निगरानी करेगा तो केंद्र सरकार को कोई आपत्ति नहीं है। वहीं दूसरी तरफ वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने Supreme Court को बताया कि केंद्र की स्टेटस रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक इस हिंसा में 595 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। इनमें से कितने FIR यौन हिंसा से संबंधित हैं, कितने आगजनी, लूट और फायरिंग, कितनी हत्या से संबंधित हैं इस बारे में कोई डेटा उपलब्ध नहीं है।