बेंगलूरु. देश का तीसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-3 प्रक्षेपण के 17 दिन बाद पृथ्वी की कक्षा से निकलकर चांद के रास्ते पर चल पड़ा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने सोमवार मध्य रात्रि करीब 12.15 बजे ट्रांस लूनर इंजेक्शन (टीएलआइ) की जटिल प्रक्रिया पूरी की। इसके साथ ही मिशन का दूसरा चरण पूरा हो गया।
इसरो वैज्ञानिकों के अनुसार टीएलआइ प्रक्रिया पूरी करने के लिए चंद्रयान-3 के तरल इंजन को (लिक्विड एपोजी मोटर) लगभग 21 मिनट तक फायर किया गया। इसके बाद चंद्रयान-3 पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बाहर निकल लूनर ट्रांसफर ट्रेजेक्टरी (चांद के प्रक्षेप पथ) पर चल पड़ा। चांद का पीछा करते हुए यान अब 5 अगस्त शाम 7 बजे के आसपास चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण में प्रवेश करेगा। तब चंद्रयान-3 के तरल इंजन को फायर कर उसकी गति धीमी कर दी जाएगी और वह चांद की कक्षा में प्रवेश कर जाएगा।
इसरो वैज्ञानिकों के अनुसार चंद्रयान-3 ठीक हालत में है और उस पर लगातार नजर रखी जा रही है। इसरो के टेलीमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (इस्ट्रैक) में मिशन ऑपरेशन काम्पलेक्स (एमओएक्स) से यान को नियंत्रित किया जा रहा है। ब्यालालू स्थित इसरो का डीप स्पेस नेटवर्क के जरिए चंद्रयान-3 को कमांड भेजा जाती है और सूचनाएं प्राप्त की जाती हैं।
पिछले 14 जुलाई को प्रक्षेपण के बाद से अभी तक चंद्रयान-3 पृथ्वी की कक्षा में ही चक्कर लगा रहा था। इस दौरान पांच बार कक्षा में उसकी दूरी बढ़ाई (मैनुवर) गई। अभी तक मिशन तय मानदंडों के अनुरूप चल रहा है। एक-एक पड़ाव सफलतापूर्वक पार किया है। इसरो ने कहा है कि मिशन लॉन्च करने के बाद से लेकर चांद पर पहुंचने के दौरान 10 पड़ाव पार किए जाएंगे। यानी, कुल 10 चरणों में यह मिशन पूरा होगा। इनमें से दो चरण पृथ्वी पर पूरे कर लिए गए हैं। शेष 8 चरण चंद्रयान-3 के चांद की कक्षा में प्रवेश करने के बाद पूरे होंगे।