उज्जैन में इन दिनों लोगों का मेला जैसा लगा हुआ है। सावन माह में हर कोई महाकाल के दर्शन के लिए बेताब है। यही कारण है रोज लाखों लोग महाकाल के दर्शन के लिए यहां आ रहे हैं। महाकालेश्वर मंदिर के शिखर पर भी एक मंदिर स्थित है जोकि भगवान नागचंद्रेश्वर के मंदिर के रूप में जाना जाता है। खास बात यह है कि नागचंद्रेश्वर का मंदिर साल में केवल एक बार ही खुलता है।
भगवान श्री नागचंद्रेश्वर का यह मंदिर महाकालेश्वर मंदिर के शिखर पर स्थित है। यह नाग मंदिर के रूप में विख्यात है और देश के सबसे प्राचीन नाग मंदिरों में माना जाता है। नागचंद्रेश्वर भगवान का यह मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। इसकी खासियत यह है कि भक्तों के लिए यह मंदिर वर्ष में सिर्फ एक दिन नागपंचमी यानि श्रावण शुक्ल पंचमी पर ही खोला जाता है।
इस दिन भी दर्शनों के लिए सिर्फ चौबीस घंटे ही मंदिर खुला रखा जाता है। इस दौरान लाखों भक्त मंदिर में कई घंटों तक कतार लगाकर नागचंद्रेश्वर के दर्शन करते हैं। मान्यता है कि स्वयं नागराज तक्षक इस मंदिर में रहते हैं।
मंदिर में श्रीनागचंद्रेश्वर की मूर्ति भी अद्भुत है। इसमें भगवान शिव-पार्वती फन फैलाए नाग के आसन पर बैठे हैं। मूर्ति 11वीं शताब्दी की बताई जाती है। बताते हैं कि यह मूर्ति नेपाल से यहां लाई गई थी।
सनातन परंपरा में नागों की पूजा करने विधान है। नाग को भगवान शिव का आभूषण माना गया है। नागपंचमी पर नागों की विधिवत पूजा की जाती है। यही कारण है कि महाकाल के शिखर पर स्थित श्रीनागचंद्रेश्वर मंदिर में इस दिन लाखों लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं।