इसरो विक्रम लैंडर की सफल अवतरण के बाद अब रोवर प्रज्ञान भी चंद्रमा की सतह पर उतर गया है। इसरो का यह छह पहियों वाला यह रोबोटिक यंत्र चंद्रमा की सतह पर घूम घूम कर तमाम प्रकार की जानकारी इकटठा करेगा। इसरो डाटा सेंटर को रियल टाइम ट्रांसमिट करेगा। विक्रम लैंडर के चांद की सतह पर पहुंचने की साथ हिंदुस्तान दक्षिणी ध्रुव पर पहला और चंद्रमा पर पहुंचने वाला चौथा देश बन गया है।
23 अगस्त की शाम ठीक 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर उतरा था। इसके ठीक 2 घंटे 26 मिनट बाद रोवर प्रज्ञान भी बाहर आ गया है। यह छह पहियों वाला रोबोट हर सेकेंड एक सेंटीमीटर चलेगा। इसके हर कदम के साथ ही अशोक चिंह की छाप चांद की धरती पर चस्पा होती जाएगी। इसके पहिए में अशोक चिंह की छाप लगाई गई है।
ऐसे चांद पर उतरा रोवर प्रज्ञान
- सबसे पहले विक्रम का साइड पैनल खोला गया
- इसके बाद विक्रम से एक रैंप चांद की सतह पर आई
- इसी रैंप पर धीरे धीरे पहियों के सहारे प्रज्ञान उतारा
- रोवर प्रज्ञान ने उतारते ही चांद की धरती पर अशोक चिंह अंकित किया
- इसके साथ ही प्रज्ञान ने चांद पर भारत और इसरो की छाप छोड़ना शुरू किया
- प्रज्ञान चांद पर एक सेंकेंड में एक सेंटीमीटर चहलकदमी कर रहा है।
- प्रज्ञान का एलआईबीएस चांद की सतह से जानकारियां जुटाएगा।
- प्रज्ञान का अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर चंद्रमा के खनिजों की जानकारी देगा