चीन में उइगुर मुसलमानों पर जुल्म की इंतेहा, लेकिन सारे इस्लामी देश हैं चुप

नई दिल्ली: चीन का शिंजियांग प्रांत और यहां का मुख्यालय उरुमची और बड़ा शहर काश्गर है। इस प्रांत और इसके इन दो शहरों में भला खास क्या है ? खास बात यह है कि इन दोनों शहरों समेत शिंजियांग के बाकी हिस्सों में आजकल डर का माहौल है। दुकानें बंद हैं और बाजार में सन्नाटा पसरा है। लोगों के घरों के बाहर क्यूआर कोड चिपके हैं। इन कोड को कभी भी चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के कैडर और स्थानीय प्रशासन के लोग आकर स्कैन करने लगते हैं। फिर घर में घुसकर पूछताछ करते हैं। ये रोज का सिलसिला है। यहां बच्चे अब दिखते नहीं और जिन घरों में बच्चे रह भी गए हैं, उन्हें घरवाले निकलने नहीं देते।

चीन की सरकार ने कसा शिकंजा
दरअसल, चीन की सरकार ने शिंजियांग प्रांत में रहने वालों पर शिकंजा और कस दिया दिया है। वजह ये है कि यहां रहने वाले उइगुर मुसलमान हैं और चीन की सरकार का मानना है कि ज्यादातर उइगुर आतंकवादी हैं। ऐसे में 10 लाख लोगों को विशेष कैंपों में ले जाकर उनका ब्रेनवॉश किया जा रहा है। जिन लोगों को कैंप ले जाया गया है, उनके बच्चों को अनाथालयों में भेजा गया है। मस्जिदों में अजान बंद कर दिए गए हैं। रमजान पर लोग रोजा नहीं रख सकते और दाढ़ी बढ़ाई, तो खैर नहीं। पुलिस आएगी और उठा ले जाएगी। ऐसे में यहां से बचे-खुचे लोग तमाम यूरोपीय देशों और तुर्की पलायन कर रहे हैं, लेकिन वहां भी इन्हें सुकून नहीं। यूरोपीय देशों में चीन की दूतावास के अफसर वहां भी उइगुर मुसलमानों की गतिविधियों पर नजर रखते हैं।

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आखिर चीन ऐसा क्यों कर रहा है ?
शिंजियांग प्रांत में उइगुर मुसलमानों पर चीन की सरकार के शिकंजा कसने की जमीन दरअसल 1949 में इस प्रांत पर जबरन कब्जा करने से जुड़ी हुई है। उइगुर मुसलमान मानते हैं कि ये पूर्वी तुर्कीस्तान है और चीन ने अवैध तरीके से हमला कर शिंजियांग प्रांत पर कब्जा किया। ऐसा मानने वाले उइगुरों ने पूर्वी तुर्कीस्तान स्वाधीनता आंदोलन नाम से चीन की सरकार के खिलाफ अभियान छेड़ा हुआ है। इस अभियान के तहत तमाम हिंसा की घटनाएं भी हुई हैं, जिसके बाद से चीन की सरकार बीते करीब तीन साल से शिंजियांग पर शिकंजा कस रही है।

शिंजियांग में हिंसा की तमाम घटनाएं हुई हैं, लेकिन तीन बड़ी घटनाओं की वजह से चीन की सरकार ने उइगुर मुसलमानों का जीना हराम कर दिया है। 24 अप्रैल 2013 को काश्गर के पास चाकू लिए लोगों की तलाश करने गई पुलिस और लोगों के बीच हिंसा में 21 की जान गई। चीन की सरकार का आरोप है कि उइगुरों के हमले में 15 पुलिसवाले मारे गए। इसके बाद 26 जून को लुककुन शहर में पुलिस ने हिंसा के दौरान सख्ती बरती। कुल 27 लोग मारे गए। इनमें से 17 चीन के हान लोग थे। इसके बाद पुलिस ने इनकी हत्या के 10 आरोपियों को मार डाला। हिंसा की छिटपुट घटनाओं के बाद 1 मार्च 2014 को कुछ हमलावरों ने कुनमिंग रेलवे स्टेशन पर चाकू से लोगों पर हमले किए। इन हमलों में 29 लोगों की जान गई और करीब 140 लोग घायल हुए। चीन की सरकार ने आरोप लगाया कि शिंजियांग के उइगुर आतंकियों ने ये हमला किया।

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चीन की कार्रवाई पर इस्लामी देश चुप
चीन में उइगुरों पर वहां की सरकार तरह-तरह के जुल्म ढा रही है, लेकिन हैरत की बात ये है कि मुसलमानों पर अत्याचार होते ही मुखर होने वाले इस्लामी देश इस मामले में चुप हैं। भारत में किसी मुसलमान पर हमला होने पर हायतौबा करने वाला पाकिस्तान, चीन सरकार के दबाव में है और वह उइगुरों पर कुछ नहीं बोलता। सऊदी अरब और अन्य इस्लामी देश भी शिंजियांग के उइगुरों के मसले पर आज तक कुछ नहीं बोले।

ईसाइयों पर भी जुल्म की शुरुआत
चीन की सरकार सिर्फ उइगुरों पर ही शिकंजा नहीं कस रही है। हेनान प्रांत के धार्मिक अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय पर भी उसकी नजरें टेढ़ी हो गई हैं। इस प्रांत में जगह-जगह तमाम चर्च तोड़ डाले गए हैं और पादरियों को रविवार को होने वाली प्रार्थना सभाओं में जाने से भी मना कर दिया गया है। नतीजे में ईसाई समुदाय के लोग भी चीन से भाग रहे हैं।

खास बात यह है कि शिंजियांग और हेनान में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर चीन सरकार के जुल्म राष्ट्रपति शी जिनपिंग को दोबारा पद पर चुने जाने और उनके ताकतों में असीमित इजाफे के बाद और बढ़े हैं। आशंका इस बात की है कि जिस तरह तिब्बत पर कब्जे के बाद वहां के मूल निवासियों को खदेड़कर चीन के मूल हान लोगों को काबिज कराया गया, वैसा ही शिंजियांग और हेनान में करने की साजिश चीन की सरकार ने रची है।

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