अल्पसंख्यक वोटों के लिए BJP का नया नारा ‘ना दूरी है, न खाई है, मोदी हमारा भाई है’, कितना पड़ेगा असर?

भाजपा ने अल्पसंख्यक वोटों को पाले में लाने के लिए पसमांदा अभियान के बाद अब सूफी संवाद की पहल की है। देश भर के दरगाहों से जुड़े सूफियों को इस मुहिम से जोड़ा जा रहा है। भाजपा की कोशिश सूफीवाद के जरिए कथित नरम मिजाज मुस्लिमों को साथ लाने की है। सूफी नेताओं को केंद्र सरकार की नीतियों और योजनाओं की जानकारी देकर उन्हें मोदी का दूत बनकर समाज में जागरूकता फैलाने की अपील की जा रही है। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा ने इस अभियान को लेकर नया नारा भी गढ़ा है- ‘ना दूरी है, न खाई है, मोदी हमारा भाई है।’

भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा की तरफ से आयोजित इस ‘आउटरीच प्रोग्राम’ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पसमांदा अभियान का विस्तार माना जा रहा है। भाजपा ने सूफियों के जरिए मुस्लिमों और भाजपा के बीच फैली दूरी को दूर करने की कोशिश की है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश सहित 22 राज्यों में अल्पसंख्यक मोर्चा ने सूफी संवाद के लिए समितियां बनाईं हैं।

देश के लगभग सभी राज्यों में 18 से 20 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं। भाजपा का मानना है कि इस समुदाय के बीच कार्य करने से भरोसा जीता जा सकता है और कम से कम 2 से 4 प्रतिशत वोट हासिल हो सकता है। ऐसे में भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा ने विभिन्न योजनाओं में मुस्लिम लाभार्थियों के आंकड़ों के हवाले से समाज में जागरूकता अभियान चलाया है। कहा जा रहा है कि पूर्व की सरकारों से ज्यादा मुस्लिमों को भाजपा की मोदी सरकार ने बगैर भेदभाव के लाभ दिया है।

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