दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार और केंद्र की मोदी सरकार के बीच तानातनी कम होने का नाम नहीं ले रही है। अब दोनों ही सरकारों के बीच दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी को लेकर ठन गई है। वहीं, इस विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने इस विवाद को सुलझाने और जल्द मुख्य सचिव को चुनने का रास्ता बता दिया है।
साथ ही दिल्ली सरकार से कहा है कि वह सुझाए गए नामों पर एक घंटे के अंदर ही फैसला ले। इसके अलावा जिन नामों का पैनल सुझाएगा उन्हें गुप्त रखना है। उस व्यक्ति का नाम सोशल मीडिया पर न उछाले। इसके साथ ही उन्होंने एलजी वीके सक्सेना को आदेश दिया है कि सिविल सर्वेंट्स का पैनल बनाकर कोर्ट को बताए।
चीफ सेक्रेटरी की नियुक्ती को लेकर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने सुनवाई की। इस दौरान उन्होंने दिल्ली सरकार को आदेश दिया कि केंद्र जिन नामों का सुझाव राज्य सरकार को देगा उन पर दिल्ली सरकार को एक घंटे के अंदर फैसला लेना होगा। वहीं, दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार का कहना था कि चीफ सेक्रेटरी के चुनाव में केंद्र और राज्य सरकार के बीच बैलेंस बनाना जरूरी है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून में बदलाव के बाद चीफ सेक्रेटरी का चुनाव जल्द करना बेहद जरूरी हो गया है।
बता दें कि आम आदमी पार्टी सरकार ने चीफ जस्टिय के बेंच में एक याचिका दायर की थी। याचिका में कहा या था कि 30 नवंबर को रिटायर होने जा रहे नरेश कुमार की जगह पर नए चीफ सेक्रेटरी का चुनाव केंद्र सरकार को दिल्ली की केजरीवाल सरकार से सलाह लेकर करना चाहिए। केजरीवाल सरकार की तरफ से पेश हुए वकील एएम सिघवी ने कहा कि केंद्र सरकार को आप सरकार से सलाह लेकर ही चीफ सेक्रेटरी नियुक्त करना चाहिए।
वहीं एलजी की तरफ से पेश हुए सीनियर वकील हरीश साल्वे ने कहा, पहले भी चीफ सेक्रेटरी के नामों को लेकर खूब चर्चा की गई है। अब हम नहीं चाहते कि फिर से आम आदमी पार्टी की सरकार को सार्वजनिक रूप से मिथ्या आरोप लगाने का मौका मिले।
वहीं, सुनवाई के दौरान CJI ने कहा, मुझे लगता है कि अगर इस मुद्दे को एलजी और मुख्यमंत्री पर छोड़ दिया जाए तो इसका कोई समाधान ही नहीं निकलेगा। केंद्र और एलजी को मिलकर आईएएस अधिकारियों का नाम सुझाना होगा और इसके बाद मुख्यमंत्री उनमें से एक नाम का चुनाव करेंगे।
हालांकि इस पैनल में शामिल किसी भी अधिकारी का नाम सोशल मीडिया पर नहीं आना चाहिए। सीजेआई ने कहा, हम सहमत हैं कि इस मामले को मिथ्या आरोप प्रत्यारोप के लिए क्यों छोड़ा जाए। इसका ऐसा समाधान होना चाहिए जिससे एलजी और दिल्ली सरकार के बीच विश्वास बना रहे।