भारत-मालदीव को लेकर वैश्विक मंच पर जारी सियासी बवाल ने एक बात तो अच्छे से समझा दी है कि वरिष्ठता का ओहदा ऐसे ही अर्जित नहीं हो जाता।” दरअसल, हम यह भूमिका एनसीपी प्रमुख शरद पवार के संदर्भ में रच रहे हैं। आपको बता दें कि भारत-मालदीव को लेकर मचे सियासी बवाल के बीच बिना कोई भूमिका रचाए शरद पवार ने प्रधानमंत्री मोदी का खुलकर सपोर्ट किया है। आइए आगे आपको बताते हैं कि उन्होंने क्या कुछ कहा है ?
शरद पवार ने कहा कि नरेंद्र मोदी हमारे देश के प्रधानमंत्री हैं। अब दूसरे देश का कोई शख्स हमारे प्रधानमंत्री के बारे में ऐसी भाषा शैली का उपयोग करेगा, तो उसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का सम्मान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम प्रधानमंत्री के खिलाफ इस तरह की भाषा शैली का उपयोग नहीं होने देंगे और अगर कोई ऐसा करेगा, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
उधर, इस पूरे मुद्दे को लेकर विदेशी धरा पर भी सियासी हलचल तेज है। चीन ने जहां मालदीप को सपोर्ट किया है, तो वहीं दूसरी तरफ बांग्लादेश और इजरायल ने भारत का खुलकर समर्थन किया है। ऐसे में अब आगामी दिनों में अन्य देशों का भारत के प्रति क्या रवैया रहता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। आइए, आगे आपको पूरा माजरा विस्तार से बताते हैं।
आपको बता दें कि बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लक्षद्वीप दौरे पर गए थे, जहां की तस्वीरें भी उन्होंने सोशल मीडिया पर साझा कीं थीं, जिसका किसी ने विरोध, तो किसी ने समर्थन किया था। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने तो यहां तक कह दिया था कि पीएम मोदी के पास लक्षद्वीप जाने का समय है, लेकिन मणिपुर जाने का नहीं।
इसके बाद मालदीप के तीन उप-मंत्रियों ने पीएम मोदी के संदर्भ में विवादास्पद टिप्पणी का इस्तेमाल किया था, जिसमें मरियम शिउना ने प्रधानमंत्री के लिए ‘विदूषक’ और ‘कठपुतली’ जैसे शब्दों का भी इस्तेमाल किया था, जिस पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी। इतना ही नहीं, विदेश मंत्रालय ने भारत स्थित मालदीव के उच्चायुक्त को भी तलब किया था। जिसके बाद मालदीप सरकार ने पीएम मोदी को लेकर विवादास्पद टिप्पणी का इस्तेमाल करने वाले तीन मंत्रियों को मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया था।