नई दिल्लीः अपनी राजनीतिक कीमत का अहसास करवाना मायावती से बेहतर शायद ही किसी को आता हो. बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ पर अपना फैसला सुनाकर इसका अहसास करवा दिया है. हाल यह है कि कांग्रेस किसी भी तरह बसपा से तालमेल के लिए उनकी मान-मनौवल में जुट गयी है. हो सकता है मध्य प्रदेश और राजस्थान में गठबंधन हो भी जाए मगर कांग्रेस को मायावती की शर्त पर समझौता करना होगा यह तय है.
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बहुजन समाज पार्टी की मजबूत पकड़ है. मोदी हटाओ के नाम पर गठबंधन की राजनीति में इन दोनों राज्यों में कांग्रेस के बसपा से गठबंधन के आसार प्रबल थे. मगर, पिछले दिनों मायावती ने कांग्रेस को डबल झटका दे दिया. छत्तीसगढ़ में तो कांग्रेस के बागी पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी की पार्टी के साथ सीटों का बंटवारा करके अलग चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया.
वहीं यह भी साफ़ कर दिया कि एमपी में बसपा सभी 230 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी और एलान के साथ ही 22 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी. इसको लेकर कांग्रेस और उसके मुखिया राहुल गांधी की काफी किरकिरी हुई है। क्योंकि सोनिया गांधी ने कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार के शपथ ग्रहण में मायावती से जो नजदीकियां जाहिर की थीं, उसने आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर बसपा के प्रति आकर्षण को साफ़ कर दिया था.
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कांग्रेस मायावती के फैसले से आहत है यह शनिवार को उसके मध्य प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ की प्रेस कॉन्फ्रेस में जाहिर हुआ. कमलनाथ ने कहा कि गठबंधन को लेकर बसपा से बातचीत जारी है. कमलनाथ ने कहा कि गठबंधन को लेकर दिल्ली में बसपा नेताओं से उनकी बातचीत हुई है. हालांकि यह गठबंधन कब होगा, इसपर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है. उन्होंने कहा कि हम यह नहीं चाहते कि वोट बिखर जाए और इसका फायदा भाजपा उठा ले.
दूसरी तरफ है, जबकि बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रामअचल राजभर ने गठबंधन की संभावनाओं से इनकार किया है. राजभर का कहना है कि गठबंधन को लेकर कांग्रेस ने अफवाह फैलाई हुई है, क्योंकि बसपा सुप्रीमो मायावती की ओर से ऐसा कोई भी संकेत हमें नहीं मिला है. जल्द ही पार्टी बाकी सीटों पर भी प्रत्याशियों की घोषणा करेगी.
मध्य प्रदेश में 2013 में हुए विधानसभा चुनाव के आंकड़ों की बात करें तो कांग्रेस को कुल 36 फीसदी वोट मिले थे, जबकि बसपा को 6 फीसदी और समाजवादी पार्टी को महज 1 फीसदी वोट ही मिल पाए थे. लेकिन अगर कांग्रेस और बसपा उस समय एक साथ चुनाव लड़ते तो कांग्रेस को 47 सीटें अधिक मिल सकती थीं. बसपा को उस समय 17 सीटों पर 30 हजार और 62 सीटों पर 10 हजार से ज्यादा वोट मिले थे.
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छत्तीसगढ़ में अजित जोगी से गठजोड़ के बावजूद बसपा के उच्च पदस्थ सूत्रों का मानना है कि मध्यप्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस के साथ उसके तालमेल के विकल्प अब भी खुले हैं। कहा जा रहा है कि अभी सिर्फ छत्तीसगढ़ पर फैसला लिया गया है. मध्य प्रदेश में केवल 22 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं.
अब यह कांग्रेस पर निर्भर करता है कि वह सीटों को लेकर कितनी जल्दी फैसले लेती है. एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि अभी विधानसभा चुनाव हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव तक हालात क्या होंगे, कहना कठिन है. सबको बड़ा दिल करके सोचना होगा तभी बात बनेगी. कर्नाटक में मायावती और सोनिया गांधी की गले मिलने की तस्वीरों से दोनों दलों के करीब आने का आभास हुआ था, लेकिन कांग्रेस के लगातार ढीले रवैये से मायावती नाराज हैं. मध्य प्रदेश में 47 फीसदी अनुसूचित जनजाति, 35 फीसदी अनुसूचित जाति के वोटर हैं.