वसीम रिजवी के सपने में इसलिए रोते हुए आए भगवान राम !

विश्वजीत भट्टाचार्य: शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी का राम मंदिर को लेकर ताजा बयान आया है. वसीम रिजवी ने कहा है कि उनके सपने में भगवान राम रोते हुए आए. बकौल वसीम रिजवी, भगवान राम ने उनसे पूछा कि अयोध्या में मंदिर आखिर कब बनेगा. भगवान राम के इस सवाल और वसीम के सपने का जवाब पहली मोहर्रम से 10वीं मोहर्रम के बीच लखनऊ में दिए गए एक खास शख्स के बयानों में छिपा है.

पहली से 10वीं मोहर्रम के बीच क्या हुआ ?

वसीम रिजवी के सपने में रोते हुए भगवान राम के आने का पहली से 10वीं मोहर्रम का रिश्ता दिखता है. हुआ यूं कि पहली मोहर्रम से 10वीं मोहर्रम के बीच हजरत हुसैन और उनके कुनबे की करबला में शहादत का शिया मुसलमान शोक मनाते हैं. इस मौके पर हर साल इमामबाड़ों में मजलिस लगती हैं. जहां शियाओं के धार्मिक गुरु करबला की घटना का ब्योरा सुनाते हैं. इस साल भी मजलिसें लगीं. इन मजलिसों में से एक को शियाओं के बड़े धर्मगुरुओं में से एक मौलाना कल्बे जव्वाद ने संबोधित किया. इस दौरान मौलाना कल्बे जव्वाद ने कई बार पीएम नरेंद्र मोदी और आरएसएस की तारीफ की थी. माना जा रहा है कि शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड चेयरमैन वसीम रिजवी के सपने में भगवान राम का रोते हुए आना, मौलाना कल्बे जव्वाद के पीएम मोदी और संघ की तारीफ से जुड़ा हुआ मसला है.

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कल्बे जव्वाद से छत्तीस का है आंकड़ा

बता दें कि मौलाना कल्बे जव्वाद और वसीम रिजवी के बीच छत्तीस का आंकड़ा है. अखिलेश सरकार के ताकतवर मंत्री मोहम्मद आजम खान ने 2015 में वसीम रिजवी को शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड का चेयरमैन बनवाया था. उसके बाद मौलाना कल्बे जव्वाद ने वसीम पर तमाम आरोप लगाए थे. मौलाना ने वक्फ बोर्ड में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाकर तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव से मिलकर वसीम रिजवी को हटाने की मांग की थी. वसीम रिजवी के सिर पर आजम खान का हाथ था. ऐसे में अखिलेश ने मौलाना की मांग अनसुनी कर दी. इसके बाद मौलाना कल्बे जव्वाद ने कई दिन तक आंदोलन किया था और यहां तक कि बड़े इमामबाड़े के गेट पर समर्थकों के साथ धरना देते हुए ताला भी जड़ दिया था.

मौलाना कल्बे जव्वाद पर उसी दौरान वसीम रिजवी ने आरोप लगाया था कि उन्होंने वक्फ की काफी जमीन बेच दी है. वसीम रिजवी ने इसके दस्तावेजी सबूत होने की बात कही थी, लेकिन ये दस्तावेज सामने नहीं आए. लखनऊ में शियाओं की एक अलग सियासत चलती है. इसके जानकारों का मानना है कि 10वीं मोहर्रम तक मौलाना ने जिस तरह पीएम मोदी और आरएसएस की तारीफ की, उससे वसीम रिजवी घबरा गए हैं.

इन जानकारों के मुताबिक सपा की सरकार जाते ही वसीम ने खुद की कुर्सी बचाने के लिए बीजेपी से नजदीकी बढ़ा ली और मंदिर के पक्ष में बयानबाजी करने लगे. अब मौलाना कल्बे जव्वाद ने जैसे ही पीएम मोदी और आरएसएस की तारीफ की, उससे वसीम शायद परेशान हो गए होंगे और इसी वजह से वो कह रहे हैं कि भगवान राम सपने में आकर मंदिर न बनने पर रो रहे थे.

बीजेपी कहीं दूध से मक्खी की तरह न निकाले फेंके

बता दें कि वसीम रिजवी ने बीजेपी से नजदीकी बढ़ाने के साथ ही शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड को अयोध्या में राम मंदिर का पक्षधर बताया था. बाकायदा वक्फ बोर्ड की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा गया है कि अयोध्या की विवादित जमीन शियाओं की है. कोर्ट में वसीम रिजवी के दस्तखत से दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि वहां मंदिर बनना चाहिए. रिजवी के इस हलफनामे से मंदिर मुद्दे पर बीजेपी का उनसे होने वाला अहम काम पूरा हो चुका है.

जानकारों का मानना है कि वसीम को भी शायद इसका अहसास हो गया है और वो शायद सोच रहे होंगे कि काम निकल जाने के बाद कहीं अपने पुराने साथी मौलाना कल्बे जव्वाद को बीजेपी फिर साथ लेकर उनका पत्ता न साफ कर दे. कुल मिलाकर आने वाले दिनों में अगर मौलाना कल्बे जव्वाद और बीजेपी के बीच गलबहियां बढ़ीं, तो वसीम रिजवी के हवाले से और भी सपनों की कहानियां सुनने को मिल सकती हैं.

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