शिवपाल के पोस्टरों से मुलायम गायब

लखनऊ: समाजवादी सेक्युलर मोर्चा ने हालात को समझते हुए अब मुलायम सिंह यादव का आशीर्वाद न लेते हुए अपने दम पर ही आगे बढ़ने का शायद फैसला कर लिया है. इटावा में इसका नजारा भी दिख गया है. मोर्चा बनाने वाले मुलायम के भाई शिवपाल सिंह यादव को बड़ी उम्मीद थी कि बड़े भाई यानी नेताजी उनके साथ खड़े होंगे, लेकिन मुलायम साइकिल से नहीं उतरे.

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शिवपाल ने मुलायम की यूं छोड़ी उम्मीद

दरअसल, बीते सात साल से 2 अक्टूबर के मौके पर शिवपाल सिंह यादव गांधी जयंती यात्रा कराते रहे हैं. इस साल इस आयोजन का आठवां साल है. इसके लिए पूरे इटावा में जगह-जगह बड़े-बड़े बैनर और पोस्टर लगे हैं. इन बैनर-पोस्टर में सबसे बड़ी तस्वीर महात्मा गांधी की लगी है. दूसरी बड़ तस्वीर शिवपाल सिंह की है. इसके अलावा मोर्चा के तमाम छुटभैये नेताओं को भी जगह मिली है. जगह अगर किसी को नहीं मिली है, तो वो हैं मुलायम. जिस इटावा को मुलायम के नाम से पहचाना जाता है, उसी जिले में भाई शिवपाल के कार्यक्रम में मुलायम की तस्वीर न होना बड़ी बात है.

डिनर डिप्लोमेसी ने मुलायम-शिवपाल को किया अलग

बीते रविवार को सपा की साइकिल न्याय यात्रा के समापन के मौके पर मुलायम ने अपने बेटे अखिलेश, भतीजे और सांसद धर्मेंद्र यादव और चचेरे भाई रामगोपाल यादव के साथ कार्यक्रम में शिरकत की थी. सपा के अंदरखाने से आई खबर के मुताबिक धर्मेंद्र ने डिनर डिप्लोमेसी कर मुलायम को बेटे के साथ खड़े होने के लिए मना लिया. इसी कड़ी में बाकायदा रामगोपाल यादव भी मुलायम के पास पहुंचे और उन्हें साइकिल न्याय यात्रा के समापन में शामिल होने का निमंत्रण दिया. जिसके बाद मुलायम ने सार्वजनिक तौर पर संकेतों में बताया कि वो फिलहाल अखिलेश का साथ नहीं छोड़ने वाले.

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शिवपाल और सपा के झंडे में थे मुलायम

भारत तो क्या शायद विदेश में भी कोई ऐसा नेता नहीं होगा, जिसे दो अलग-अलग राजनीतिक मंच ने कभी अपना नेता बताया हो. जबकि, मुलायम की तस्वीर सपा के झंडे के अलावा शिवपाल के समाजवादी सेक्युलर मोर्चा के झंडे में भी देखी गई. शिवपाल ने तो बाकायदा एलान कर दिया था कि नेताजी का आशीर्वाद उनके साथ है, लेकिन रविवार को जिस तरह मुलायम अपने बेटे के साथ मजबूती से खड़े दिखे, उससे शिवपाल सिंह को शायद ये अंदाजा हो गया होगा कि मुलायम उनके साथ आ नहीं सकते और इसी वजह से गांधी जयंती के कार्यक्रम के बैनर-पोस्टर से मुलायम बाहर हो गए. देखना ये बचा है कि सेक्युलर मोर्चा के झंडे में मुलायम अभी रहते हैं या वहां से भी शिवपाल अपने बड़े भाई को हटा देते हैं.

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