नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज गुजरात के जामनगर में चुनावी रैली को संबोधित करने पहुंचे। रैली में जाने से पहले प्रधानमंत्री ने जाम साहेब श्री शत्रुसल्यसिंहजी के आवास पर जाकर उनसे मुलाकात की। पीएम ने खुद अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर जाम साहेब के साथ मुलाकात की फोटो शेयर करते हुए लिखा, जामनगर पहुँचकर जाम साहेब शत्रुसल्यसिंहजी के आवास पर गये और उनसे अद्भुत बातचीत हुई। उनसे मिलना हमेशा सुखद होता है। उनकी गर्मजोशी और बुद्धिमत्ता अनुकरणीय है। आइए आपको बताते हैं कौन हैं जाम साहेब शत्रुसल्यसिंहजी…
Upon reaching Jamnagar, went to the residence of Jam Saheb Shri Shatrusalyasinhji and had a wonderful interaction with him. Meeting him is always a delight. His warmth and wisdom are exemplary. pic.twitter.com/W7xqrED4Ax
— Narendra Modi (@narendramodi) May 2, 2024
जामनगर जिसे पहले नवानगर के नाम से जाना जाता था, यहां के शासक की उपाधि को जाम साहेब कहा जाता है शत्रुसल्यसिंहजी नवानगर के महाराजा की उपाधि धारण करने वाले अंतिम व्यक्ति हैं। शत्रुसल्यसिंहजी को उनके पिता की मृत्यु के बाद फरवरी 1966 में नवानगर के महाराजा जाम साहेब की उपाधि प्रदान की गई। जाम साहेब राजपूतों के जाम जडेजा कबीले से ताल्लुक रखते हैं। जाम साहेब शत्रुसल्यसिंहजी प्रथम श्रेणी क्रिकेट के खिलाड़ी भी रहे हैं। उन्होंने 1958-59 में सौराष्ट्र के लिए खेलते हुए बॉम्बे के खिलाफ प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण किया था।
#WATCH | Gujarat: In Jamnagar, Prime Minister Narendra Modi visited Jam Saheb Shri Shatrusalyasinhji at his residence.
PM tweets, "…had a wonderful interaction with him. Meeting him is always a delight. His warmth and wisdom are exemplary." pic.twitter.com/5du4Rv0sjG
— ANI (@ANI) May 2, 2024
शत्रुसल्यसिंहजी ने सौराष्ट्र के लिए 1959-60 में तीन, 1961-62 में चार और 1962-63 में चार मैच खेले। 1966-67 में, शत्रुसल्यसिंहजी ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट के अंतिम सीज़न में, रणजी ट्रॉफी में सौराष्ट्र की कप्तानी की। इसके साथ ही उन्होंने मोइनुद्दौला गोल्ड कप टूर्नामेंट के फाइनल में भारतीय स्टारलेट्स की कप्तानी की। इतना ही नहीं शत्रुसल्यसिंहजी टूरिंग खेलने के लिए वेस्ट जोन के लिए भी चुने गए। शत्रुसल्यसिंहजी क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद सौराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन के प्रमुख 1972 तक प्रमुख रहे जब तक उनकी जगह निरंजन शाह ने नहीं ले ली।
शत्रुसल्यसिंहजी के ही पूर्वज महाराजा जाम साहेब दिग्विजयसिंह जी के नाम पर पोलैंड में कई सड़के हैं। उन्होंने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान पोलैंड के 600 से अधिक बच्चों और महिलाओं की रक्षा की थी। जाम साहेब ने न सिर्फ उनको अपने महल में पनाह दी बल्कि इतने सारे लोगों का नौ सालों तक खयाल भी रखा।