बसपा (BSP) की प्रमुख और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती (Mayawati)के एक फैसले मंगलवार रात सबको चौंका दिया.मायावती ने ट्वीट कर जानकारी दी कि पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर और उनके उत्तराधिकारी आकाश आनंद (Akash Anand) को सभी पदों से हटा दिया गया है. मायावती ने यह कदम लोकसभा चुनाव के दौरान उठाया.वह भी ऐसे समय जब लोकसभा चुनाव के मतदान के चार चरण बाकी हैं.
इस समय बसपा में नंबर दो के नेता माने जाने वाले आकाश आनंद 2017 में राजनीति में सक्रिए हुए थे. मायावती ने उन्हें 2023 में बसपा का नेशनल कोऑर्डिनेटर और अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था.इस साल लोकसभा चुनाव में आकाश आनंद की 10 रैलियां हुईं. इसमें आकाश ने आक्रामक भाषण दिए. इन भाषणों की वजह से आकाश आनंद लाइम लाइट में आ गए.अपने भाषणों में उन्होंने भाजपा, पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर जमकर निशाना साधा. आनंद के भाषणों से पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार हो रहा था.लेकिन पार्टी नेतृत्व असहज हो रहा था.वह नहीं चाहता था कि वो किसी संकट में फंसे.
आकाश आनंद ने 28 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के सीतापुर में आयोजित रैली में प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की तुलना तालिबान से कर दी. उन्होंने लोगों से कहा था कि वो ऐसी सरकार को जूतों से जवाब दें.इस भाषण के बाद आकाश आनंद पर आचार संहिता के उल्लंघन का मुकदमा दर्ज कराया गया. इसके बाद पार्टी ने आकाश आनंद को चुनाव प्रचार से हटा दिया. उनकी प्रस्तावित रैलियां रद्द कर दी गईं.आनंद की 1 मई को ओरैया और हमीरपुर में रैली होनी थी.बसपा ने रैलियां रद्द करने का कारण परिवार में किसी की बीमारी बताया.
क्या अभी परिपक्व नहीं हुए हैं आकाश आनंद?
इस साल लोकसभा चुनाव में आकाश आनंद ने मीडिया को जमकर इंटरव्यू दिए. इनमें उन्होंने हर तरह के सवालों के जवाब दिए. उन्होंने यहां तक कहना शुरू कर दिया कि चुनाव के बाद बसपा किसी के भी साथ गठबंधन कर सकती है.उनका कहना था कि इसका लक्ष्य समाज के हित में राजनीतिक सत्ता हासिल करना है.हालांकि उन्होंने बसपा के भाजपा की बी टीम होने के आरोपों को नकारा. उनके इस बयान से पार्टी नेतृत्व असहज हुआ.उसे आकाश के बयानों से फायदा कम नुकसान ज्यादा नजर आने लगा. इसका उल्लेख मायावती ने अपने ट्वीट में भी किया है.उन्होंने कहा है कि आकाश आनंद अभी परिपक्व नहीं हुए हैं, जब परिपक्व हो जाएंगे तो उन्हें जिम्मेदारियां दी जाएंगी.
आकाश आनंद अपने भाषणों में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा पर भी निशाना साध रहे थे.उनका यह रुख बसपा प्रमुख मायावती से अलग लगा. वो अपने भाषणों में कांग्रेस-सपा पर तो हमला करती हैं, लेकिन भाजपा और उसके नेताओं पर सीधे हमले करने से परहेज करती हैं.राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि वो भाजपा के साथ अपने रिश्तों को बिगाड़ना नहीं चाहती हैं.इसलिए उन्होंने आकाश आनंद को हटाया है.
राजनीतिक विश्लेषक मायावती के फैसले की टाइमिंग पर भी सवाल उठा रहे हैं. उनका कहना है कि आकाश आनंद की सक्रियता से बसपा समर्थकों में उत्साह पैदा हो रहा था.उन्हें आकाश में उम्मीद नजर आ रही थी, खासकर युवाओं में. मायावती के फैसले से बसपा के युवा समर्थकों में निराशा पैदा हो सकती है. इसका असर चुनाव नतीजों पर भी पड़ सकता है. वहीं कुछ विश्लेषकों का यह मानना है कि मायावती नहीं चाहती हैं कि आकाश किसी संकट में फंसे, वह भी ऐसे समय जब पार्टी का जनाधार सिकुड़ता जा रहा है.इसलिए उन्होंने आकाश आनंद को हटाया है.
कौन हैं आकाश आनंद
आकाश आनंद बसपा प्रमुख मायावती के भाई आनंद के लड़के हैं.वो 2017 में राजनीति में सक्रिय हुए थे. उन्होंने पहली बार जनवरी 2019 में आगरा में राजनीतिक रैली को संबोधित किया.आकाश को 2020 में पार्टी का नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया गया था.सफेद कमीज और नीली पैंट और कान टॉप्स पहनने वाले आकाश आनंद में लोगों को मायावती की छवि नजर आती है.
पिछले कई चुनाव से बसपा की लोकप्रियता का ग्राफ काफी गिरा है. इसका असर उसे मिलने वाले वोटों पर भी पड़ा है. बसपा ने 2019 के चुनाव में दस सीटें जीती थीं.उसे केवल 3.67 फीसदी वोट मिले थे.वहीं 2009 के चुनाव में बसपा ने 21 सीटें जीती थीं.जबकि 2022 के विधानसभा चुनाव में यूपी में वो सिर्फ एक सीट ही जीत पाई थी.