आम आदमी पार्टी (आप) की तरफ से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जेल में तबीयत बिगड़ने और उनका वजन तेजी से कम होने के दावे किए जा रहे हैं. आप राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा है कि मार्च में हुई गिरफ्तारी के बाद से केजरीवाल का वजन 8.5 किलोग्राम कम हुआ है. हालांकि, अब इस पर तिहाड़ जेल सुपरिटेंडेंट ने साफ कर दिया है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री का उतना वजन नहीं गिरा है, जितना दावा किया जा रहा है. आम आदमी पार्टी ने कहा है कि जेल प्रशासन मान रहा है कि वजन कम हुआ है.
मीडिया को अरविंद केजरीवाल की मेडिकल रिपोर्ट भी मिली है. इसमें भी उनके वजन गिरने की जानकारी दी गई है. इसमें मुख्यमंत्री केजरीवाल के वजन को लेकर आप नेताओं और दिल्ली सरकार के मंत्रियों के दावे पर उठे सवाल उठाए गए हैं. दिल्ली सरकार के मंत्री, आप सांसद और अन्य लोग लगातार केजरीवाल के 8.5 किलोग्राम वजन कम होने का कर रहे दावा हैं. इस संबंध में तिहाड़ जेल के सुपरिटेंडेंट ने दिल्ली सरकार के गृह विभाग को चिट्ठी लिखी है.
जेल सुपरिटेंडेंट के मुताबिक, 1 अप्रैल 2024 को जब केजरीवाल पहली बार तिहाड़ आए तो उनका वजन 65 किलोग्राम था. 10 मई को जब अरविंद केजरीवाल तिहाड़ से निकलें तो उनका वजन 64 किलोग्राम था. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए केजरीवाल को 21 दिनों की अंतरिम जमानत दी थी. उन्हें 10 मई से लेकर 1 जून तक चुनाव प्रचार के लिए जमानत मिली थी. जमानत की अवधि खत्म होने के बाद उन्होंने सरेंडर कर दिया था.
जेल सुपरिटेंडेंट ने गृह विभाग को लिखी चिट्ठी में बताया है, 2 जून को जब दिल्ली के मुख्यमंत्री ने जेल में सरेंडर किया तो उनका वजन 63.5 किलोग्राम था. फिलहाल उनका वजन 61.5 (14 जुलाई) किलोग्राम है. इस तरह ये साफ हो रहा है कि 8.5 किलो वजन कम होने के दावे में सच्चाई नजर नहीं आ रही है. अगर पहली बार जेल में आने से लेकर अभी तक कम हुए वजन की बात करें तो ये 3.5 किलोग्राम है.
तिहाड़ जेल सुपरिटेंडेंट ने यह भी जानकारी दी है कि कम खाना खाने या कम कैलोरी इनटेक के चलते भी वजन में गिरावट हो सकती है. अरविंद केजरीवाल का रोजाना वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों की देख रेख में चेकअप होता है. साथ ही कोर्ट के आदेशानुसार मेडिकल बोर्ड से परामर्श के समय उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल भी मौजूद रहती हैं.
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के कुछ मंत्रियों, एक मौजूदा सांसद और आम आदमी पार्टी के अन्य विधायकों द्वारा सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से निराधार आरोप लगाए गए हैं. ये जेल प्रशासन को डराने के इरादे से झूठी जानकारी और जनता को भ्रमित करने की कोशिश है.