बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन के बाद हालात बेकाबू हो गए हैं. प्रधानमंत्री शेख हसीना इस्तीफा देकर देश छोड़कर चली गई हैं. सूत्रों के मुताबिक, शेख हसीना बांग्लादेश छोड़कर भारत आ गई हैं. आर्मी ने देश की कमान संभाल ली है. आपको बताते हैं कि बांग्लादेश में आखिर ऐसा क्या हुआ कि प्रधानमंत्री को ही देश छोड़कर जाना पड़ा है.
एक दिन पहले यानी रविवार को बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों और सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थकों के बीच देश के विभिन्न हिस्सों में झड़प में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गयी थी. बड़ी संख्या में लोग घायल भी हुए थे. देशभार में कर्फ्यू लगा दिया गया था और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई थीं.
बांग्लादेश में क्यों हो रहे हिंसक प्रदर्शन?
रविवार को हुई झड़पों से कुछ दिन पहले ही बांग्लादेश में पुलिस और मुख्य रूप से छात्र प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पें देखने को मिली थीं. जिसमें 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी.
दरअसल, प्रदर्शनकारी विवादास्पद आरक्षण प्रणाली को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं जिसके तहत 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में हिस्सा लेने वाले लड़ाकों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान है.
आरक्षण प्रणाली के तहत क्या है प्रावधान?
बांग्लादेश में आरक्षण प्रणाली के तहत कुल 56 फीसदी सरकारी नौकरियां आरक्षित हैं. अब इन नौकरियां में से 30 फीसदी आरक्षण स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार वालों के लिए, 10 फीसदी आरक्षण पिछड़े प्रशासनिक जिलों के लिए, 10 प्रतिशत महिलाओं के लिए, पांच प्रतिशत आरक्षण जातीय अल्पसंख्यक समूहों के लिए और एक प्रतिशत दिव्यांग लोगों के लिए आरक्षित है.
हसीना सरकार पर लगाए ये आरोप
प्रदर्शनकारी छात्रों का आरोप है कि सरकार उन लोगों को आरक्षण देने के पक्ष में है, जो शेख हसीना सरकार का समर्थन करते हैं और मेरिट के आधार पर सरकारी नौकरियां नहीं दी जा रही हैं. इसलिए प्रदर्शनकारी इस आरक्षण प्रणाली को खत्म करने और हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. जिस वजह से देश में लगातार हिंसक प्रदर्शन देखने को मिले.