उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी (BSP) की अध्यक्ष मायावती ने लखनऊ के सरकारी गेस्ट हाउस पर हुए हमले की याद ताजा करते हुए समाजवादी पार्टी (SP) और कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मायावती का कहना है कि 2 जून 1995 को समाजवादी पार्टी ने जानलेवा हमला कराया और कांग्रेस सरकार ने इस घटना पर अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभाई।
घटना का विवरण देते हुए मायावती ने बताया कि 1993 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन बना था, जिसके परिणामस्वरूप मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने। 1 जून 1995 को मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को चुनावी तैयारियों के लिए निर्देशित किया। इसके जवाब में मायावती ने समाजवादी पार्टी पर मतदाताओं को हड़पने का आरोप लगाते हुए गठबंधन को समाप्त करने का निर्णय लिया।
अगले दिन, 2 जून 1995 को मायावती अपने विधायकों के साथ लखनऊ के गेस्ट हाउस में बैठक कर रही थीं, जब समाजवादी पार्टी के कुछ विधायक और कार्यकर्ता गेस्ट हाउस में घुसकर तोड़फोड़ करने लगे। इस हिंसक हमले में BSP के कई विधायकों को चोटें आईं और कुछ को बंधक बना लिया गया। मायावती ने खुद को गेस्ट हाउस के एक कमरे में बंद कर लिया था। बीजेपी विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी ने मायावती को बचाने के लिए गेस्ट हाउस पहुंचकर उनकी मदद की।
हाल ही में मायावती ने इस घटना की याद दिलाते हुए कांग्रेस और समाजवादी पार्टी पर आरोप लगाए। उन्होंने कहा, “सपा ने 2 जून 1995 को BSP द्वारा समर्थन वापसी पर मुझ पर जानलेवा हमला कराया था, जिस पर कांग्रेस ने कभी कुछ नहीं कहा। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने भी अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभाई।” मायावती ने यह भी कहा कि कांशीराम ने अपनी गंभीर बीमारी के बावजूद कांग्रेस के गृह मंत्री के सामने अपनी नाराजगी जताई थी, और विपक्ष ने संसद को घेर लिया था, जिसके बाद कांग्रेस सरकार ने कदम उठाए थे।
इसके अलावा, मायावती ने SC/ST आरक्षण पर कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि उनकी पार्टी ने जातीय जनगणना के लिए कांग्रेस और अब बीजेपी पर दबाव बनाया है। मायावती ने सवाल उठाया कि क्या कांग्रेस जातीय जनगणना के बाद SC, ST और OBC वर्गों को उनका उचित हक दिला पाएगी। कांग्रेस अभी भी SC/ST आरक्षण में वर्गीकरण और क्रीमी लेयर के मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है।
1995 की घटना के बाद समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच गठबंधन टूट गया था, जिससे मुलायम सिंह यादव की सरकार अल्पमत में आ गई और गिर गई। 2019 में सपा और बसपा के बीच एक बार फिर गठबंधन हुआ, लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद यह गठबंधन भी टूट गया। मायावती ने हाल ही में इस गठबंधन की टूट की वजह पर टिप्पणी करते हुए सपा और कांग्रेस पर आक्रामक रुख अपनाया है। उनकी टिप्पणियाँ सपा और कांग्रेस की राजनीति पर एक नई बहस छेड़ सकती हैं।