Thursday, October 24, 2024
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कोलकाता में डॉक्टर से रेप-मर्डर के आरोपी संजय रॉय के पॉलिग्राफ टेस्ट का में क्या पता चला?

कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले में सीबीआई की गतिविधियाँ जारी हैं और आरोपियों पर लगातार दबाव बढ़ रहा है। संजय रॉय और संदीप घोष, दो प्रमुख आरोपियों पर जांच की जा रही है।

संजय रॉय की स्थिति:

पॉलीग्राफ टेस्ट: संजय रॉय का पॉलीग्राफ टेस्ट रविवार को कोलकाता की प्रेसीडेंसी जेल में किया गया। रिपोर्टों के अनुसार, रॉय घबराया हुआ और परेशान नजर आया। उसने कई सवालों के जवाबों में झूठ बोला, जिससे सीबीआई की जांच प्रभावित हुई। रॉय ने कोर्ट में और टेस्ट के दौरान दावा किया कि जब वह सेमिनार हॉल में पहुँचा, तो पीड़िता पहले से मृत थी, और नशे की हालत में डर के मारे मौके से भाग गया।

साक्ष्य और बहाने: सीबीआई ने संजय रॉय से कई सबूत पेश किए, जिनके जवाब में उसने कई बहाने गिनाए। रॉय की दलीलें सीबीआई को संतुष्ट नहीं कर पाईं, और जांच के अनुसार उसके झूठे जवाबों ने जांच को जटिल बना दिया।

संदीप घोष की स्थिति

पूछताछ और छापेमारी: संदीप घोष से लगातार 10 दिनों तक पूछताछ की जा रही है। रविवार को सीबीआई ने उनके और उनके सहयोगियों के ठिकानों पर छापेमारी की और महत्वपूर्ण दस्तावेज़ जब्त किए। यह छापेमारी भ्रष्टाचार से संबंधित सबूतों की खोज में की गई थी।

आरोप और साक्ष्य: सीबीआई का दावा है कि छापेमारी के दौरान कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज़ मिले हैं, जो संदीप घोष पर भ्रष्टाचार के आरोपों को मजबूत कर सकते हैं। उनकी पूछताछ से प्राप्त जानकारी की आधिकारिक पुष्टि अभी बाकी है।

कोर्ट ने दिया था लाई डिटेक्टर टेस्ट का आदेश

कोर्ट ने संजय रॉय, संदीप घोष और सात अन्य लोगों का लाई डिटेक्टर टेस्ट कराने की अनुमति दी है। यह टेस्ट न्यायिक सबूत के रूप में नहीं माना जा सकता, लेकिन यह जांच को एक दिशा देने में सहायक होगा।

संजय रॉय के खिलाफ हैं कई सबूत

कोलकाता पुलिस ने संजय रॉय को 10 अगस्त को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद सीसीटीवी फुटेज और डॉक्टर के शव के पास एक ब्लूटूथ उपकरण मिलने से रॉय का संलिप्तता साबित हुआ। रॉय 2019 से कोलकाता पुलिस के साथ नागरिक स्वयंसेवक के रूप में काम कर रहा था और उसने कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ करीबी संबंध बना लिए थे।

कुल मिलाकर, इस मामले में सीबीआई की जांच तीव्र गति से चल रही है और आरोपियों पर शिकंजा कसता जा रहा है। कोर्ट की निगरानी में चल रही ये प्रक्रियाएँ मामले की जाँच में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

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