भारतीय समाज में जाति गणना को लेकर लंबे समय से बहस जारी है, और इस मुद्दे पर हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने समर्थन का संकेत दिया है। RSS ने जाति गणना के महत्व को स्वीकार करते हुए कहा है कि यह एक “well-established practice” है जो लक्षित कल्याण योजनाओं के लिए महत्वपूर्ण है। संघ ने यह भी स्पष्ट किया कि जाति गणना के आधार पर समाज के विभिन्न वर्गों को उचित तरीके से सहायता और योजनाएं प्रदान की जा सकती हैं।
RSS के अनुसार, जाति गणना के द्वारा जातियों की वास्तविक स्थिति का आकलन किया जा सकता है, जिससे उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति को बेहतर ढंग से समझा जा सके। संघ ने यह तर्क किया है कि ऐसी गणना से पता चलेगा कि किस जाति के लोगों को किस प्रकार की सहायता की जरूरत है और कैसे सरकार की योजनाओं का लाभ सही ढंग से उन तक पहुंचाया जा सकता है। इससे न केवल सरकारी योजनाओं की प्रभावशीलता में सुधार होगा, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों के लिए बेहतर नीतियों का निर्माण भी संभव होगा।
RSS का जाति गणना के प्रति यह रुख तब आया है जब विभिन्न राजनीतिक दलों ने भी इस मुद्दे को उठाया है। कांग्रेस और कुछ अन्य दल लंबे समय से जाति गणना की मांग कर रहे हैं, जबकि केंद्र सरकार ने इसे लेकर अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। RSS के समर्थन से जाति गणना के पक्ष में एक नया मोड़ आ सकता है और इससे इस मुद्दे पर राजनीतिक विमर्श और भी तेज हो सकता है।
RSS का यह कदम किसके लिए महत्वपूर्ण है?
RSS का यह बयान उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो जाति गणना के समर्थन में हैं और मानते हैं कि इससे समाज के विभिन्न वर्गों को सही तरीके से पहचानने और उनकी जरूरतों के अनुसार योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी। जाति गणना के आधार पर योजनाओं को लागू करने से यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि किसी भी वर्ग के लोग पीछे न छूट जाएं और उन्हें उचित अवसर और सहायता मिले।
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या RSS के समर्थन के बाद केंद्र सरकार जाति गणना को लेकर कोई ठोस कदम उठाएगी या यह केवल एक राजनीतिक बयान रहेगा। इस मुद्दे पर आगे की कार्रवाई से यह तय होगा कि जाति गणना को लेकर समाज और सरकार की सोच में कितना बदलाव आया है और इससे क्या नए कदम उठाए जाएंगे।