69 हजार शिक्षक भर्ती मामला: उत्तर प्रदेश की 69 हजार शिक्षक भर्ती से जुड़े विवाद में नया मोड़ आया है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें हाई कोर्ट ने जून 2020 और जनवरी 2022 की सिलेक्शन लिस्ट को रद्द कर दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर विचार करने के लिए 23 सितंबर को अगली सुनवाई तय की है।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) ने साफ कहा है कि हाई कोर्ट का आदेश फिलहाल निलंबित रहेगा। सभी पक्षकारों से कहा गया है कि वे लिखित दलीलें पेश करें ताकि इस पर अंतिम सुनवाई की जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि राज्य सरकार और दोनों पक्ष लिखित नोट दाखिल करें।
हाई कोर्ट ने पिछले महीने उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया था कि 2019 की सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा के आधार पर 69 हजार शिक्षकों के लिए नई सिलेक्शन लिस्ट तीन महीने के भीतर जारी की जाए। हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर कोई आरक्षित वर्ग का अभ्यर्थी सामान्य श्रेणी के बराबर मेरिट प्राप्त करता है तो उसका चयन सामान्य श्रेणी में किया जाना चाहिए। इसके चलते यूपी में बड़ी संख्या में नौकरी कर रहे शिक्षकों के लिए नौकरी खोने का खतरा पैदा हो गया था।
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने यह आदेश दिया था कि भर्ती में अभ्यर्थियों को आरक्षण का पूरा लाभ नहीं मिला है। इस आदेश के बाद राज्य सरकार और संबंधित पक्षों को इसे चुनौती देने का मौका मिला। सोमवार को सीजेआई की बेंच के सामने याचिकाकर्ता शिवम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी पेश हुए।
शिक्षक भर्ती को लेकर राजनीति भी गर्म हो गई है। एनडीए की सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने कहा है कि इस भर्ती में ओबीसी अभ्यर्थियों के साथ अन्याय हुआ है और आरक्षण के नियमों की अवहेलना की गई है। वहीं, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी योगी सरकार पर आरोप लगाए हैं कि वह अभ्यर्थियों को न्याय नहीं दे रही और बीजेपी कभी भी नौकरी देने के पक्ष में नहीं रही।