हाल ही में, ईरान ने अपने अर्धसैनिक बल ‘रिवॉल्यूशनरी गार्ड’ द्वारा बनाए गए ‘कायम-100’ रॉकेट से एक सैटेलाइट अंतरिक्ष में लॉन्च किया। यह प्रक्षेपण एक महत्वपूर्ण घटना थी, जिसे ईरानी सरकारी मीडिया ने बड़े उत्साह के साथ बताया। ईरान ने पुष्टि की कि इस प्रक्षेपण के दौरान ‘चमरान-1’ नामक उपग्रह को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया गया। इस उपग्रह का वजन 60 किलोग्राम है, और यह प्रक्षेपण ईरान का दूसरा सफल प्रयास था जिसमें रॉकेट का इस्तेमाल किया गया।
अमेरिका ने ईरान के उपग्रह लॉन्च पर चिंता जताई
इस प्रक्षेपण के तुरंत बाद, अमेरिका ने अपनी चिंता जाहिर की। अमेरिकी विदेश मंत्रालय का कहना है कि उन्हें लंबे समय से इस बात की चिंता है कि ईरान का अंतरिक्ष प्रक्षेपण यान कार्यक्रम उसकी लंबी दूरी की मिसाइल प्रणालियों के विकास में सहायक हो सकता है। अमेरिका का कहना है कि जब भी ईरान नए उपग्रह प्रक्षिप्त करता है, तो इसका मतलब यह हो सकता है कि वे अपनी मिसाइल तकनीक को और बेहतर बनाने के प्रयास में लगे हैं।
अमेरिका का कहना है कि इस तरह के प्रक्षेपणों से ईरान को अपनी मिसाइलों की मारक क्षमता को बढ़ाने में मदद मिल सकती है। इसका मतलब यह है कि ईरान की लंबी दूरी की मिसाइलें और भी अधिक सटीक और प्रभावशाली हो सकती हैं, जो कि सुरक्षा के लिहाज से एक बड़ा खतरा बन सकता है।
इजरायल और हमास के बीच चल रहा है संघर्ष
ईरान के उपग्रह लॉन्च के समय, पश्चिम एशिया में इजरायल और हमास के बीच संघर्ष भी चल रहा है, और ईरान ने इस दौरान इजरायल पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए हैं। इसके अलावा, ईरान का परमाणु हथियारों के निर्माण के लिए यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम भी जारी है, जिसे लेकर निरस्त्रीकरण विशेषज्ञों ने चिंता जताई है। इस स्थिति ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचा है और ईरान की गतिविधियों पर निगाहें बनी हुई हैं।
अमेरिका की चिंताओं के बीच, ईरान के इस उपग्रह प्रक्षेपण ने क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं। यह प्रक्षेपण ईरान की तकनीकी क्षमताओं का एक और उदाहरण है, जो भविष्य में अंतरराष्ट्रीय संबंधों और सुरक्षा पर असर डाल सकता है।