दिल्ली में नई मुख्यमंत्री आतिशी, मंत्रिमंडल का गठन होगा चुनौतीपूर्ण

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार शाम को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इसके बाद आतिशी को आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक दल की नेता चुना गया है। अब वे दिल्ली की नई मुख्यमंत्री होंगी। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती नए मंत्रिमंडल का गठन करना है, जिसमें यह देखना होगा कि वे पुराने मंत्रियों को बनाए रखती हैं या नए चेहरों को मौका देती हैं।

दिल्ली विधानसभा चुनाव का नजारा

दिल्ली विधानसभा चुनाव में लगभग पांच महीने का समय बचा है। केजरीवाल ने पहले ही संकेत दिया था कि वे महाराष्ट्र के साथ दिल्ली का चुनाव कराना चाहते हैं। यदि चुनाव आयोग सहमति देता है, तो किसी भी समय चुनाव का ऐलान किया जा सकता है। ऐसे में आतिशी को अपनी नई कैबिनेट को तैयार करने में बेहद सतर्क रहना होगा।

पुराने मंत्री बनाम नए चेहरे

अगर आतिशी पुराने मंत्रियों को शामिल करती हैं, तो उन्हें कामकाज में अधिक समय नहीं लगेगा। लेकिन अगर वे नए चेहरों को मौका देती हैं, तो उनके पास केवल तीन महीने का समय होगा, जिसमें उन्हें अपने विभागों की जानकारी हासिल करनी होगी। यह सत्ताधारी दल के लिए जोखिम भरा कदम हो सकता है, खासकर चुनावों से पहले।

कैबिनेट में संभावित चेहरे

दिल्ली विधानसभा में अधिकतम 6 मंत्री बनाए जा सकते हैं। पहले केजरीवाल कैबिनेट में गोपाल राय, कैलाश गहलोत, सौरभ भारद्वाज, इमरान हुसैन और आतिशी शामिल थे। अब आतिशी की मुख्यमंत्री बनने से दो पद खाली हो गए हैं। यदि वह पुराने मंत्रियों पर भरोसा जताती हैं, तो वे सभी पुराने चेहरों को कैबिनेट में वापस ला सकती हैं।

दलित और पूर्वांचली चेहरे की आवश्यकता

कैबिनेट में एक दलित चेहरे को शामिल करने की आवश्यकता है, खासकर जब से राजकुमार आनंद ने अपने पद से इस्तीफा दिया है। पार्टी की कोशिश होगी कि एक नए दलित चेहरे को मौका दिया जाए, जैसे कुलदीप कुमार या राखी बिड़ला। इसके साथ ही, पूर्वांचल के वोटर्स को साधने के लिए आतिशी एक नए चेहरे को शामिल कर सकती हैं।

राजनीतिक समीकरण और चुनौतियाँ

आतिशी की ताजपोशी के साथ, राजनीतिक समीकरण बदलने की संभावना है। पंजाबी समुदाय को साधने के लिए यह निर्णय लिया गया है, लेकिन पूर्वांचल और दलित वोटर्स को लेकर आतिशी को विशेष ध्यान देना होगा। चुनावों से पहले सही मंत्रिमंडल गठन करके वे इन वोटर्स को अपनी ओर आकर्षित कर सकती हैं।

आतिशी के लिए नया मंत्रिमंडल गठन एक बड़ा राजनीतिक कदम होगा, जिसमें उन्हें न केवल अपनी टीम को संतुलित करना है, बल्कि जनता की उम्मीदों पर भी खरा उतरना है। क्या वे पुराने चेहरों पर भरोसा करेंगी या नए चेहरों को मौका देंगी, यह देखना दिलचस्प होगा।

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