भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और प्रसिद्ध अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह को एक बार फिर से भारत रत्न देने की मांग उठाई गई है। सिख संस्था ‘नामधारी संगत सेवा समिति’ ने भारत सरकार से इस संबंध में अनुरोध किया है। समिति के सदस्यों ने मंगलवार को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर इस मुद्दे को उठाया।
मनमोहन सिंह की उपलब्धियों का जिक्र
सम्मेलन में मनमोहन सिंह की अनेक उपलब्धियों पर चर्चा की गई। समिति के सदस्यों ने बताया कि पूर्व पीएम को उनके योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले हैं। उन्हें साल 1987 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था, और सऊदी अरब ने 2010 में उन्हें ‘ऑर्डर ऑफ किंग अब्दुल अजीज’ से नवाजा। इसके अलावा, 2014 में जापान ने उन्हें ‘ऑर्डर ऑफ द पॉलोनिया फ्लावर्स’ से सम्मानित किया।
अर्थव्यवस्था में योगदान
समिति के प्रवक्ता लखविंदर सिंह ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने का श्रेय मनमोहन सिंह को जाता है। उनका कहना है कि मनमोहन सिंह ने भारत और अमेरिका के बीच परमाणु संधि को सफलतापूर्वक अंतिम रूप देकर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। उनका योगदान भारत की तरक्की में अहम है, और इसीलिए उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिए।
पहली बार नहीं है यह मांग
यह पहली बार नहीं है जब मनमोहन सिंह को भारत रत्न देने की मांग की गई है। पिछले साल झारखंड कांग्रेस सेवादल के प्रदेश उपाध्यक्ष अजय कुमार ने भी केंद्र सरकार से यही अनुरोध किया था। इससे पहले भी कई लोग उनके योगदान की सराहना करते हुए इस सम्मान की मांग कर चुके हैं।
मनमोहन सिंह का राजनीतिक सफर
मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर, 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के एक गांव में हुआ था। 1947 में बंटवारे के बाद वे भारत आ गए। उन्हें कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेताओं में माना जाता है। वह 33 साल तक राज्यसभा के सांसद रहे और 2004 से 2014 तक यूपीए सरकार में प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया।
उनका कार्यकाल विशेष रूप से आर्थिक सुधारों के लिए जाना जाता है, जब वे 1991 से 1996 तक नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री रहे। उनके द्वारा किए गए सुधारों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी और उन्हें वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई।